कीड़ी – पद्मजा पाण्डेय की पोस्ट


तेईस अक्तूबर को मेरा जन्मदिन था। मैं बारह साल की हो गई। मैं प्रयागराज में सातवीं क्लास में पढ़ती हूं। वहां से हम दिवाली की छुट्टियों में गांव आये हैं और मेरा जन्मदिन गांव में मनाया गया। गांव में मेरे सारे दोस्त दलित बस्ती (लोग उस बस्ती के बारे में ऐसा ही बोलते हैं) केContinue reading “कीड़ी – पद्मजा पाण्डेय की पोस्ट”

रात ढलते ही झींगुर गायन


रात आते ही – शाम सात सवा सात बजे झींगुर गायन शुरू कर देते हैं। और यह आवाज रात भर चलती है। गांव के सन्नाटे का संगीत है यह। पितृपक्ष लग गया है जो कोई अन्य आवाज – कोई डीजे या जै मातादी जागरण या अखंड मानस पाठ आदि नहीं हो रहा। आजकल झींगुरचरितमानस काContinue reading “रात ढलते ही झींगुर गायन”

बढ़ती उम्र, साइकिल और नई पीढ़ी


दो दिन से राजन भाई मेरे घर आ रहे हैं। दस साल पहले वे मुझे साइकिल के जोड़ीदार बन कर यहां गांवदेहात का करीब 10 वर्ग किलोमीटर का एरिया दिखाने वाले थे। एक एक चप्पा चप्पा – नदी, ताल, खेत और लोग हमने देखे। पर कालांतर में उनका साइकिल चलाना और मेरे घर पर आनाContinue reading “बढ़ती उम्र, साइकिल और नई पीढ़ी”

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