कड़े प्रसाद तो अपनी नमकीन बेच कर, हमेशा की तरह गेट बिना बंद करने की जहमत उठाये चले गये। पर मुझे जीवन-मृत्यु-श्मशान-वैराज्ञ-उत्सव और दीर्घायु आदि के मुद्दे सोचने के लिये थमा गये।
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सरसों का शहद
विकास जी के शहद और डाबर-पतंजलि के शहद में बहुत अंतर है। डाबर के शहद में मिठास ज्यादा होती है और उसका स्वाद एक जैसा हमेशा रहता है। विकास जी के शहद में मिठास कम और प्राकृतिक लगती है। मल्टी फ्लोरा, शीशम या सरसों के शहद की मिठास अलग अलग मालुम पड़ती है।
सर्दी पलट कर आई
दुनियाँ के विपरीत छोर पर एक से भारतीय परिवार के सर्दी के अलग अलग अनुभव। यहां हम बर्फ नहीं देखते तो आईस और स्नो का फर्क भी नहीं करते। घर के बाहर नीम से झरी पत्तियां साफ करनी होती हैं यहां और वहां स्नो।
