शवदाह पश्चात पूड़ी मिठाई


कड़े प्रसाद तो अपनी नमकीन बेच कर, हमेशा की तरह गेट बिना बंद करने की जहमत उठाये चले गये। पर मुझे जीवन-मृत्यु-श्मशान-वैराज्ञ-उत्सव और दीर्घायु आदि के मुद्दे सोचने के लिये थमा गये।

रघुनाथ पांड़े जी का मृत्यु-पुराण


रघुनाथ पांड़े कहते हैं – मर जाने पर पूरा इत्मीनान कर लेना। डाक्टर से भी पूछ लेना। कहीं ऐसा न हो कि जान बची रहे। एक चिनगारी छू जाने पर कितना दर्द होता है। पूरी देह आग में जाने पर तो बहुत दर्द होगा। … न हो तो बिजली वाले फ़ूंकने की जगह ले जाना।