एक अजूबा है ल्हासा की रेल लाइन


कल तिब्बत पर लिखी पोस्ट पर टिप्पणियों से लगा कि लोग तिब्बत के राजनैतिक मसले से परिचित तो हैं, पर उदासीन हैं। लोग दलाई लामा की फोटो देखते देखते ऊब गये हैं। मुझे भी न बुद्धिज्म से जुड़ाव है न तिब्बत के सांस्कृतिक आइसोलेशन से। मुझे सिर्फ चीन की दादागिरी और एक देश-प्रांत के क्रूरContinue reading “एक अजूबा है ल्हासा की रेल लाइन”

अपने अपने इन्द्रप्रस्थ


जिप्सियाना स्वभाव को ले कर जब मैने पोस्ट  लिखी तो बरबस पॉउलो कोएल्हो की पुस्तक द अलकेमिस्ट की याद हो आयी। (अगर आपने पुस्तक न पढ़ी हो तो लिंक से अंग्रेजी में पुस्तक सार पढ़ें।) उसका भी नायक गड़रिया है। घुमन्तु। अपने स्वप्न को खोजता हुआ मिश्र के पिरामिड तक की यात्रा करता है। वहContinue reading “अपने अपने इन्द्रप्रस्थ”

यह रहा फ्लैश – डा. वाटसन ने माफी मांगी। फिर भी सस्पेण्ड!


मुझे अन्दाज नहीं था कि मेरी पोस्ट इतनी जल्दी (आधे ही दिन में) पुरानी पड़ जायेगी। नोबल पुरस्कार विजेता डा. जेम्स वाटसन ने अपने विवादास्पद कथन के लिये माफी मांग ली है। पर उसके बावजूद उन्हें कोल्ड स्प्रिंग हार्बर लैब – जहां वे डायरेक्टर, प्रेसिडेण्ट और (वर्तमान में) चांसलर रह चुके हैं – ने उन्हेContinue reading “यह रहा फ्लैश – डा. वाटसन ने माफी मांगी। फिर भी सस्पेण्ड!”

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