भदोही के इस इलाके में सभी कुरियर कम्पनियां ठप्प हो गयी हैं कोरोनासंक्रमण के समय। सिर्फ़ डेलिह्वरी (Delhivery) नामक कम्पनी काम कर रही है।

कल कम्पनी के भदोही कार्यकर्ता नीरज कुमार मिश्र आये। मेरा दवाई का पैकेट देने। बताया कि और किसी कुरियर कम्पनी का भी अगर पैकेट होता है तो उसे इन्ही को दिया जाता है डिलिवर करने के लिये। नीरज अपनी कम्पनी से जुड़ाव में गर्व महसूस करते हैं। वे अपने मोबाइल में कम्पनी के सी.ई.ओ. साहिल बरुआ का चित्र भी दिखाते हैं और बताते हैं कि बरुआ जी से मिल भी चुके हैं।
“साहिल बरुआ हम लोगों को नाम से जानते हैं।”
बरुआ की यह कुरियर कम्पनी 2011 में स्थापित हुई। पिछले तीन साल में यहां इसी कम्पनी की सेवायें मुझे सबसे कार्यकुशल लगीं। अमेजन वालों ने भी अपनी सेवा शुरू की थी और उससे उनका व्यवसाय बढ़ा भी; पर कोविड19 के इस समय वे बुरी तरह लड़खड़ा गये। उनके पैकेट्स पिछले एक माह में अब तक नहीं मिल पाये हैं मुझे। जब कि सारे प्री-पेड हैं। उनका एक पैकेट तो डेल्हिवरी के माध्यम से नीरज ही ले कर आये!
कम्पनी शायद अपने फ़ील्ड स्टाफ़ के सीईओ से सीधे जुड़ाव को उपयोगी मानती है। कोविड संक्रमण के कठिन समय में भी कम्पनी ठीक से काम कर रही है, तब, उसमें कर्मियों की यह लॉयल्टी बहुत महत्व रखती होगी। कम्पनी की वेबसाइट पर नीरज जैसे सुपरहीरोज़ के वीडियो भी हेडर के रूप में लगे हैं।
नीरज मिश्र बताते हैं कि कम्पनी ग्लव्ज, मास्क, सेनीटाइजर आदि दे रही है अपने कर्मियों को। इस समय पैकेट्स आने कम हो गये हैं। काम कम हो गया है। आधा दर्जन कर्मी उन पैकेट्स को बांट कर पंहुचा देते हैं।

नीरज ने बताया कि लॉकडाउन काल में काम ज्यादा होने की समस्या नहीं है; समस्या पुलीस से इण्टरेक्शन में है। वे अपना मोबाइल दिखाते हैं जिसका टैम्पर्ड ग्लास मोबाइल छटक कर गिरने से क्रेक कर गया है। बताया कि पुलीस वाले ने उन्हें धक्का दे दिया; बावजूद इसके कि अपना आईडेण्टिटी वे दिखा/बता चुके थे। कम्पनी मुख्यालय को घटना के बारें में रिपोर्ट किया तो उन्होने ने पुलीस वाले कर्मी का फ़ोटो और विवरण मांगा है।
नीरज अपने नियमित कस्टमर से आत्मीय सम्पर्क भी रखते हैं। मुझे पैर छू कर प्रणाम करते हैं – संक्रमण काल में थोड़ा दूरी से। उन्हे लगता है कि मैं उनके काम धाम के बारे में जानने में रुचि रखता हूं, तो वे रुक कर बोलते-बतियाते भी हैं उस बारे में।

मुझे लगता है, अपने व्यवहार-बर्ताव और कम्पनी के प्रति सकारात्मक भाव रखने के कारण उनका आगे प्रगति करना निश्चित है। जाते जाते कह जाते हैं – और कुरियर कम्पनियों के पैकेट्स, अमेजन के भी, वे ही ले कर आयेंगे। आते ही रहेंगे नीरज मेरे यहां।
लॉकडाउन काल मेंं जब सोशल डिस्टेंसिंग का नॉर्म है, तब कोई कुरियर आये और पूरी सतर्कता रखते हुये भी, बोले-बतियाये; इससे बेहतर क्या हो सकता है एक सीनियर सिटिजन के लिये। नीरज को शुभकामनायें आगे प्रगति के लिये।
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