रास्ते में जगह जगह बड़े पेड़ टूट कर रास्ता पूरी तरह बंद कर पड़े थे। प्रेमसागर जी ने उन्हें चढ़ कर और लांघ कर पार करने का यत्न किया। आगे बढ़े पर एक जगह काले मुंह वाले बहुत से बंदर सामने आ गये। वे खतरनाक लग रहे थे।
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प्रेम सागर : रुद्राक्ष का रोपण और राजेंद्रग्राम को प्रस्थान
इग्यारह बजे उनका संदेश मिला – “संकरा वन है। अभी पता चला है कि बाघ या शेर आया हुआ है। उनके पैर का निशान मिले है। उसी जंगल को पार कर रहे हैं। यहाँ से ५ किलोमीटर किरन घाटी है (जहां रास्ता अवरुद्ध है) ॐ नमः शिवायः।”
प्रेमसागर के बारे में आशंकायें
“आप मेरे बारे मेंं लिख रहे हैं, उससे मैं गर्वित नहीं होऊंगा, इसके लिये सजग रहा हूं। आप चाहे दिन में तीन बार भी लिखें, मैं उससे विचलित नहीं होऊंगा, भईया। लालसा बढ़ने से तो सारा पूजा-पाठ, सारी तपस्या नष्ट हो जाती है।”
