घुमई को चलने में दिक्कत है, वर्ना वे पूरी तरह स्वस्थ हैं। “भगवान ई शरीर सौ साल जियई बदे बनये हयें (भगवान ने यह शरीर 100 साल जीने के लिये बनाया है)।” यह कहते हुये जीवन के प्रति उनका प्रबल आशावाद झलकता है।
मैं, ज्ञानदत्त पाण्डेय, गाँव विक्रमपुर, जिला भदोही, उत्तरप्रदेश (भारत) में ग्रामीण जीवन जी रहा हूँ। मुख्य परिचालन प्रबंधक पद से रिटायर रेलवे अफसर। वैसे; ट्रेन के सैलून को छोड़ने के बाद गांव की पगडंडी पर साइकिल से चलने में कठिनाई नहीं हुई। 😊
घुमई को चलने में दिक्कत है, वर्ना वे पूरी तरह स्वस्थ हैं। “भगवान ई शरीर सौ साल जियई बदे बनये हयें (भगवान ने यह शरीर 100 साल जीने के लिये बनाया है)।” यह कहते हुये जीवन के प्रति उनका प्रबल आशावाद झलकता है।