आज की सुबह


घर पर आते आते थक जाता हूं मैं। एक कप चाय की तलब है। पत्नीजी डिजाइनर कुल्हड़ में आज चाय देती हैं। लम्बोतरा, ग्लास जैसा कुल्हड़ पर उसमें 70 मिली लीटर से ज्यादा नहीं आती होगी चाय। दो तीन बार ढालनी पड़ती है।

गाई क ल, भैंसिया से बुद्धी मोटि होई जाये!


देश की डेयरियां और लोग भैंस के दूध की बदौलत चल रहे हैं। अमूल – जो विश्व के बीस सबसे बड़ी डेयरियों में है; भैंस के दूध के बल पर है। अगर भैंस का दूध बुद्धि कुंद करता है तो अमूल को ब्लैकलिस्ट कर देना चाहिये।

ईंटवाँ के बऊ यादव


आज के चरित्र थे बऊ यादव। पास के गांव इंटवाँ के हैं। साथ में पांच छ डिब्बे, प्लास्टिक के बर्तन आदि ले कर आये थे।
गांव का आदमी बऊ! एक छोटी सी वार्ता में मुझे कई शब्द सिखा दिये – मरता, निछौंछे, अरररर!

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