लोग मिनिमलिज्म पर शानदार चीजें दिखाते लिखते हैं। उनका मिनिमलिज्म वास्तव में फ्रूगेलिटी – मितव्ययता – से प्रेरित नहीं होता। उनके चित्रों के पदार्थ भी मंहगे प्रतीत होते हैं। एक प्रकार का फैशनेबल मिनिमलिस्ट उपभोक्तावाद दिखता है उनमें।
मैं, ज्ञानदत्त पाण्डेय, गाँव विक्रमपुर, जिला भदोही, उत्तरप्रदेश (भारत) में ग्रामीण जीवन जी रहा हूँ। मुख्य परिचालन प्रबंधक पद से रिटायर रेलवे अफसर। वैसे; ट्रेन के सैलून को छोड़ने के बाद गांव की पगडंडी पर साइकिल से चलने में कठिनाई नहीं हुई। 😊
लोग मिनिमलिज्म पर शानदार चीजें दिखाते लिखते हैं। उनका मिनिमलिज्म वास्तव में फ्रूगेलिटी – मितव्ययता – से प्रेरित नहीं होता। उनके चित्रों के पदार्थ भी मंहगे प्रतीत होते हैं। एक प्रकार का फैशनेबल मिनिमलिस्ट उपभोक्तावाद दिखता है उनमें।