2418 कि.मी. की कांवर पदयात्रा कर प्रेमसागर सोमनाथ पंहुचे


बाबा विश्वनाथ तो प्रेमसागर के सदा साथ हैं। यह पूरी यात्रा कोई साधारण यात्रा नहीं, उनकी संकल्प सिद्धि का साधन नहीं; अपने में तीर्थ बन गयी है।

ॐकारेश्वर जल अर्पण और बड़वाह


यहां ज्योतिर्लिंग पर जल अर्पण के साथ प्रेमसागर ने आंकड़े में 25 प्रतिशत यात्रा-ध्येय सम्पन्न कर लिया है। बारह में से तीन ज्योतिर्लिंग उन्होने पदयात्रा में देख लिये हैं। प्रिय-अप्रिय (लगभग प्रिय ही) अनुभव उन्हें हुये हैं।

देवास से उज्जैन और उज्जैन में


पहले प्रतीक्षा में एक घण्टा बैठना पड़ा। फिर चार से पांच बजे के बीच महाकाल का सिंगार हुआ और उसके बाद एक घण्टा भस्म आरती। श्मसान की भस्म की आरती। छ बजे बाहर निकल कर उन्होने अपनी एक सेल्फी ली; यादगार के रूप में।

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