इंदौर में और फिर चोरल की ओर


आज सवेरे पांच बजे प्रेमसागर चोरल के लिये रवाना हुये। चोरल इंदौर के अतिथि गृह से 36 किलोमीटर दूरी पर है। शुरू के बाईस-चौबीस किलोमीटर मालवा के पठार पर हैं। उसके बाद नर्मदा घाटी प्रारम्भ होती है।

अलाव


प्रज्वलित होती आग को निहारते समय अगर आदमी मौन हो कर सोचने की प्रक्रिया में उतरे तो जीवन, उसकी सार्थकता, मरण और मरण के आगे के कई प्रश्न तैरने लगते हैं। उन प्रश्नों और विचारों को सयास पकड़ना और भविष्य के लिये संंजोना एक अभूतपूर्व अनुभव है।

जोगी बाबा – सिद्धिनाथ मन्दिर का साधू और अनाथ गौवंश को पालनेवाला


पिछले दो साल से इस इलाके में साइकिल से घूम रहा हूं मैं, पर राजकुमारनाथ (जोगी बाबा) जैसा विलक्षण व्यक्ति नहीं पाया मैने।