दूसरी पारी – माधोसिंह रेलवे स्टेशन पर ट्रांजिट


चील्ह से गंगा उसपार मिर्जापुर बिंध्याचल से यात्री माधोसिंह आया करते थे। उनके अलावा मिर्जापुर से तांबे या पीतल के बर्तन भी आया करते थे। उनका माधोसिंह में यानांतरण होता था। उस रेल लाइन की अपनी संस्कृति थी, अपना अर्थशास्त्र।

रविवार, रामसेवक, अशोक के पौधे और गूंगी


माता-पिता ने उनका नाम रामसेवक रखा तो कुछ सोच कर ही रखा होगा। पौधों की देखभाल के जरीये ही (राम की) सेवा करते हैं वे! उनकी पत्नी को गुजरे दशकों हो गए हैं। बच्चे छोटे थे तो उनको पालने और उन्हें कर्मठता के संस्कार देने में सारा ध्यान लगाया।

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