यह मेरी ब्लॉगिंग के सबसे पुराने समय की पोस्ट है. सन 2007 में लिखी. उस समय भरत लाल मेरा बंगलों पियुन था. अपने गांव के किस्से मुझे सुनाया करता था. उसके किस्सों का भी प्रभाव था कि अंततः रिटायरमेंट के बाद उसी गांव – विक्रमपुर – में मैंने बसने का निर्णय लिया.

भूत प्रेत, चुड़ैल, ओझा, सोखा का स्पेस गांव के जीवन में, मोबाइल और स्मार्ट फोन के युग में अभी भी है और उनका महत्व कम नहीं हुआ है. शिक्षा, मेडिकल सेवायें और औद्योगिक विकास अभी भी लचर हैं. जब तक वे ऐसे रहेंगे, ऑकल्ट का दबदबा बना रहेगा.
Continue reading “मोकालू गुरू का चपन्त चलऊआ- पोस्ट पर री विजिट”