मेरी चाय की दुकान की सोच


अदरक, कालीमिर्च, चायमसाला और चायपत्ती प्रति कप कितनी मिलानी है और दूध का प्रयोग किस प्रकार करना है कि दूध फटे नहीं — यह सब इतना कर लिया है कि एक थीसिस लिख सकता हूं। और बात केवल चाय बना सकने की नहीं है। चाय प्रेम भी प्रकृति प्रेम से कम नहीं है।

मुझे चाय की चट्टी थामनी चाहिये


कई महीनों बाद कटका स्टेशन की ओर निकला। देखा कि स्टेशन रोड पर एक नयी चाय की दुकान आ गयी है। दुकान पर पालथी मारे एक सांवला सा नौजवान, माथे पर त्रिपुण्ड लगाये विराजमान है। भट्टी दहक रही है। पर्याप्त मात्रा में जलेबी छन चुकी है…

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