कोहरा – साइकिलवाद से पैदलवाद की ओर


<<< कोहरा – साइकिलवाद से पैदलवाद की ओर >>> नये साल का संकल्प कि रोज दस हजार से ज्यादा कदम चलना है; सिर मुड़ाते ही ओले पड़ने जैसा कुछ साबित हुआ। साल की शुरुआत ही मौसम के खराब होने और कोहरा गहराने से हुई। साइकिल चलाना तो कोहरे में सही नहीं था, घर परिसर मेंContinue reading “कोहरा – साइकिलवाद से पैदलवाद की ओर”

दस हजार कदम से ज्यादा चलना


*** दस हजार कदम से ज्यादा चलना *** जब 2015 के उत्तरार्ध में रिटायर हुआ था तो मैं पैदल नहीं चल पाता था। सौ दो सौ कदम चलने पर घुटनों में दर्द होने लगता था। रेलवे के हमारे डाक्टर साहब ने मुझे सलाह दी थी कि पैदल चलने की बजाय साइकिल चलाऊं। जितनी देर पैदलContinue reading “दस हजार कदम से ज्यादा चलना”

श्यामलाल; और वे भी खूब पदयात्रा करते हैं


गेरुआ वस्त्र पहने थे। कुरता धोती (तहमद की तरह), सिर पर सफेद गमछा लपेटा था। पीछे लपेट कर कम्बल जैसा कुछ लिया था। बांये हाथ में एक झोला। कोई लाठी नहींं थी हाथ में। चाल तेज थी। नंगे पांव, छरहरे और फुर्तीले थे वे।

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