मुझे एक सज्जन ने पूरे फख्र से मेरी पोस्ट पर टिप्पणी में कहा है कि वे निराला के इलाहाबाद के हैं. उसपर एक अन्य मित्र ने बेनाम टीप करते हुये निरालाजी की मन्सूर से तुलना की है – “अगर चढ़ता न सूली पर तो वो मन्सूर क्या होता”. निराला, जैसा मुझे मालूम है, इलाहाबाद मेंContinue reading “निरालाजी के इलाहाबाद पर क्या गर्व करना?”
Monthly Archives: Mar 2007
सरकारी अफसर की साहित्य साधना
श्रीलाल शुक्ल सरीखे महान तो इक्का-दुक्का होते हैं.ढेरों अफसर हैं जो अपनी प्रभुता का लाभ ले कर – छोटे दायरे में ही सही – साहित्यकार होने की चिप्पी लगवा लेते हैं. सौ-सवासौ पेजों की एक दो किताबें छपवा लेते हैं. सरकारी प्रायोजन से (इसमें राजभाषा खण्ड की महती भूमिका रहती है) कवि सम्मेलन और गोष्ठीContinue reading “सरकारी अफसर की साहित्य साधना”
आइये हम सब अमेरिका को गरियायें
अमेरिका को गरियाना फैशन है.
