भारतीय मनीषियों व दार्शनिकों ने धन पर बहुत सकारात्मक नहीं लिखा है. ‘माया महा ठगिनी’ है – यही अवधारणा प्रधान रही है. धन को साधना में अवरोध माना गया है. स्वामी विवेकानन्द ने तो अपने गुरु के साथ उनके बिस्तर के नीचे पैसे रख कर उनके रिस्पांस की परीक्षा ली थी. धन के दैवीय होनेContinue reading “धन पर श्री अरविन्द”
Daily Archives: 25-03-2007
मैं बैटरी वाली साइकल लूंगा!
टाटा की लखटकिया कार आयेगी तो मोटर साइकल वाले अपग्रेड हो कर सड़कें पाट देंगे. सडकें जब गलियों में तब्दील हो जायेंगी (जैसे कि अब नहीं हैं क्या?) तब पतली गली से निकलने को साइकल ही उपयुक्त होगी. अत: मेरा लेटेस्ट चिंतन है कि मैं बैटरी वाली साइकल लूंगा. इस बारे में मैने फाइनांस मिनिस्टरीContinue reading “मैं बैटरी वाली साइकल लूंगा!”