बिल गेट का 640KB वाला कोटेशन


कल मुझे इण्टरनेट सर्फ करते फिर कहीं पर बिल गेट का 640KB वाला कोटेशन दिखा:

640KB किसी के लिये भी पर्याप्त होना चाहिये.

—(तथाकथित रूप से बिल गेट्स, 1981)

बिल गेट्स ने स्वयम कहा है कि यह उन्होने नहीं कहा और शब्द उनके मुह में डाले जा रहे हैं. (यद्यपि दाल में कुछ काला लगता है!)

पर यह कोटेशन सही न भी हो, बहुतेरे ऐसे कोटेशन हैं जो बड़े-बड़े विषेशज्ञों की भविष्य के प्रति सोच को बड़े सपाट तरीके से गलत साबित करने और उनके वैचारिक मायोपिया को समझने में सहायक होते हैं. ऐसे ही कुछ कोटेशन जोएल अर्थर बार्कर ने अपनी महत्वपूर्ण पुस्तक द फ्यूचर एज़ (1992) में दिये हैं.@

जरा महान लोगों के भविष्य दर्शन को देखें (ये विचारवानों के सोच में छिपे मायोपिया को उजागर करते हैं):


यह एक अव्यवहारिक (भले ही असंभव न हो) और बेमतलब की सोच है कि हवा से भारी मशीनें उड़ सकेंगी.

—सिमोन न्यूकॉम्ब, खगोल वैज्ञानिक, 1902

यह एक गपोड़ी सोच है कि लम्बी दूरी के यात्रियों को लाने ले जाने में मोटर गाड़ियां (ऑटोमोबाइल) रेलवे का स्थान ले सकेंगी.

—अमेरिकन रोड कांग्रेस, 1913

कोई सम्भावना नहीं है कि मानव परमाणु की ऊर्जा को प्रयोग में ला सकेगा.

—रॉबर्ट मिलिकन, भौतिकी के नोबल पुरस्कार विजेता, 1920

कौन बेवकूफ एक्टर को बोलते हुये देखना चाहता है?

—हैरी वार्नर, वार्नर ब्रदर्स पिक्चर्स, 1927

कोई जरूरत ही नहीं है कि हर आदमी के पास अपने घर में कम्प्यूटर हो.

—केन ओल्सन, अध्यक्ष, डिजिटल इक्विपमेण्ट कॉर्पोरेशन, 1977


@ – Quoted in “Leading Consciously”, Debashish Chatterjee, Butterworth-Heinemann, 1998-99.


Published by Gyan Dutt Pandey

Exploring rural India with a curious lens and a calm heart. Once managed Indian Railways operations — now I study the rhythm of a village by the Ganges. Reverse-migrated to Vikrampur (Katka), Bhadohi, Uttar Pradesh. Writing at - gyandutt.com — reflections from a life “Beyond Seventy”. FB / Instagram / X : @gyandutt | FB Page : @gyanfb

6 thoughts on “बिल गेट का 640KB वाला कोटेशन

  1. एक पादरी महोदय कहते थे कि ये स‌ोचना मूर्खता है कि आदमी कभी उड़ने वाली मशीन बना स‌कता है। उनकी इस बात को गलत स‌ाबित किया उन्हीं के पुत्र रॉबर्ट बंधुओं ने जिन्होंने पहला वायुयान बनाया।

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  2. वर्तमान में नाम के गुमान में खोये अदूरदर्शियों की कहानी. दूर तक न देख पाने का कारण उनका अज्ञान नहीं वरन नामी होने के कारण जो जनूनी चश्मा पहन गया है, वो है. कभी किसी की बात काटनी है तो कभी कुछ ऐसा कह देना है कि लोग एकाएक हकबका जाये. सारे स्टेटमेंट उसी तरह के परिणाम दिख रहे हैं.

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  3. मैंने कहीं पढ़ा था कि तकरीबन 1901 के आसपास अमेरिकी पेटेंट विभाग के प्रमुख ने कहा था कि सभी अविष्कार किए जा सकने वाली चीज़ों का अविष्कार हो चुका है और अब पेटेंट कार्यालय को बंद कर देना चाहिए!! ;)

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  4. ऐसा ही एक कथन किन्ही वैज्ञानिक का है जो १९ वीं शताब्दी के अंतिम वर्षों में कहा गया था(शायद १८९० के आसपास)…नाम ध्यान नही आ रहा उनका, कथन का सार था”दुनिया में जितनी भे वैज्ञानिक खोजें हो सकती थीं वे सब हो चुकी हैं और अब वैज्ञानिकों के पास खोजने को कुछ नही बचा है।…”

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  5. सत्य वचन महाराज आपके। उनके नहीं, जिन्होने ऐसी चिरकुटात्मक घोषणाएं कीं।

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