फोन का झुमका


पिछले कई दिनों से स्पॉण्डिलाइटिस के दर्द से परेशान हूं। इसका एक कारण फोन का गलत पोस्चर में प्रयोग भी है। मुझे लम्बे समय तक फोन पर काम करना होता है। फोन के इन-बिल्ट स्पीकर का प्रयोग कर हैण्ड्स-फ्री तरीके से काम करना सर्वोत्तम है, पर वह ठीक से काम करता नहीं। दूसरी ओर वालेContinue reading “फोन का झुमका”

प्लास्टिक डिस्पोजल


एक महत्वपूर्ण टिप्पणी प्रिय सत्येन्द जी की है – जैसा कि आपके लेख से विदित हुआ कि प्लास्टिक को एक गड्डे में डाला गया है एवं उस पर रेत दल दी गयी है , यह पूर्ण समाधान नही है! प्लास्टिक भविष्य के लिए हानिकारक साबित हो सकता है. उम्मीद करता हूँ आपने प्लास्टिक और अन्यContinue reading “प्लास्टिक डिस्पोजल”

समसाद मियां – अथ सीक्वलोख्यान


हीरालाल नामक चरित्र, जो गंगा के किनारे स्ट्रेटेजिक लोकेशन बना नारियल पकड़ रहे थे, को पढ़ कर श्री सतीश पंचम ने अपने गांव के समसाद मियां का आख्यान ई-मेला है। और हीरालाल के सीक्वल (Sequel) समसाद मियां बहुत ही पठनीय चरित्र हैं। श्री सतीश पंचम की कलम उस चरित से बहुत जस्टिस करती लगती है।Continue reading “समसाद मियां – अथ सीक्वलोख्यान”

गंगा सफाई – प्रचारतन्त्र की जरूरत


 पिछली बार की तरह इस रविवार को भी बीस-बाइस लोग जुटे शिवकुटी घाट के सफाई कार्यक्रम में। इस बार अधिक व्यवस्थित कार्यक्रम हुआ। एक गढ्ढे में प्लास्टिक और अन्य कचरा डाल कर रेत से ढंका गया – आग लगाने की जरूरत उचित नहीं समझी गई। मिट्टी की मूर्तियां और पॉलीथीन की पन्नियां पुन: श्रद्धालु लोगContinue reading “गंगा सफाई – प्रचारतन्त्र की जरूरत”

थकोहम्


मुझे अन्देशा था कि कोई न कोई कहेगा कि गंगा विषयक पोस्ट लिखना एकांगी हो गया है। मेरी पत्नीजी तो बहुत पहले कह चुकी थीं। पर कालान्तर में उन्हे शायद ठीक लगने लगा। अभी घोस्ट बस्टर जी ने कहा – लेकिन थोड़े झिझकते हुए कहना चाहूंगा कि मामला थोड़ा प्रेडिक्टेबल होता जा रहा है. ब्लॉगContinue reading “थकोहम्”

हीरालाल की नारियल साधना


सिरपर छोटा सा जूड़ा बांधे निषाद घाट पर सामान्यत बैठे वह व्यक्ति कुछ भगत टाइप लगते थे। पिछले सोमवार उन्हें गंगा की कटान पर नीचे जरा सी जगह बना खड़े पाया। जहां वे खड़े थे, वह बड़ी स्ट्रेटेजिक लोकेशन लगती थी। वहां गंगा के बहाव को एक कोना मिलता था। गंगा की तेज धारा वहांContinue reading “हीरालाल की नारियल साधना”