डेमॉर्की के निहितार्थ


जनवरी में बीस दिन जी-ग्रुप के लोग बिछे रहे रेल पटरी पर। एक तरफ रेल परिचालन पर कोहरे की मार और दूसरी तरफ दिल्ली-बम्बई का ट्रंक रूट अवरुद्ध किये जी-ग्रुप के लोग। लोगों को असुविधा के साथ साथ अर्थव्यवस्था पर बहुत बुरा प्रभाव। अब एक हफ्ते से ज्यादा समय हो गया, माल यातायात वहन काContinue reading “डेमॉर्की के निहितार्थ”

डिसऑनेस्टतम समय


सुना है कि यह भारत में डिसऑनेस्टतम समय है। कभी कहा जाता था कि भारत को चंगेज खान ने लूटा, तैमूर लंग ने लूटा, अब्दाली ने लूटा, अंग्रेजों ने लूटा। अब लूटने का नम्बर भारतीय लूट-एलीट का है। आये दिन नये नये नाम आ रहे हैं। इनके सामने चंगेज/तैमूर/अब्दाली/अंग्रेज पिद्दी नजर आते हैं। मुंह पिटाऊ।Continue reading “डिसऑनेस्टतम समय”

बनिया (प्रोप्राइटरी) ऑर्गेनाइजेशन


संजीव तिवारी कहते हैं कि उनके बनिया ऑर्गेनाइजेशन में अगर “हम अपनी गर्दन खुद काटकर मालिक के सामने तश्‍तरी में पेश करें तो मालिक कहेगा, यार … थोड़ा तिरछा कटा है, तुम्‍हें गर्दन सीधा काटना नहीं आता क्‍या ???” बनिया (प्रोप्राइटरी) ओर्गेनाइजेशन, बावजूद इसके कि उनके सीईओ ढ़ेरों मैनेजमेण्ट की पुस्तकें फ्लेश करते हैं अपनेContinue reading “बनिया (प्रोप्राइटरी) ऑर्गेनाइजेशन”

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