
इलाहाबाद-मिर्जापुर रेल मार्ग पर स्टेशन पड़ते हैं – गैपुरा और बिरोही। गैपुरा से बिरोही की ओर बढ़ते हुये बांयी ओर गंगा नदी हैं। रेल लाइन और गंगा नदी ले बीच बहुत बड़ा कछार पड़ता है। यह छानबे या छनवर के नाम से जाना जाता है।
बहुत बड़ा है यह कछार। इतना बड़ा कि रेल लाइन से गंगा की घारा नजर नहीं आती। दूर दूर तक बिना किसी पेड़ की सपाट भूमि नजर आती है। कछार काफी उर्वर है गंगाजी की लाई मिट्टी से। बारिश के मौसम में तो गंगाजी रेलवे लाइन तक बढ़ आती हैं। अनेक जीव-जन्तु रेल लाइन पर आसरा पाते हैं। कभी कभी तो यह दशा होती है कि केबिन के बाहर बेंच पर पोर्टर बैठा होता है और नीचे सांप गुजर रहे होते हैं। पर वर्षा के मौसम के बाद सर्दियों में गेंहूं, अरहर और सरसों की फसल झमक कर होती है इस छनवर के कछार में।
अभी कुछ दिन पहले – उनतीस मार्च को मैं इलाहाबाद से चुनार के लिये यहां से गुजरा। गेंहू की फसल एक सुनहरी चादर की तरह लहलहा रही थी छनवर के कछार में। मुग्ध कर देने वाला दृष्य। घर वापस लौटने के बाद इस क्षेत्र की घर में चर्चा की तो मेरी अम्माजी ने बताया यहीं राजा दक्ष ने यज्ञ किया था, जिसमें शिव की अवज्ञा होने के कारण सती ने आत्मदाह किया था। श्रापवश इस स्थान में कोई वृक्ष नहीं होते। वीरान श्रापग्रस्त स्थल है यह। लोगों के पास यहां की व्यक्तिगत जमीन है। यहां रिहायशी इमारतें, यहां तक कि मड़ई भी नहीं दिखती। अपनी अपनी जमीन लोग कैसे चिन्हित करते होंगे, यह भी कौतूहल का विषय है।

मैं यहां के एक दो चित्र ले पाया था। आप वही देखें!
बिलकुल ऐसा ही एक इलाका बिहार क्षेत्र मे भी है, इसको मोकामा टाल के नाम से जाना जाता है । ये इलाका भी गंगाजी का कछार है, यहाँ के बारे मे कहावत है कि कोई भी लड़का ( किसान का पुत्र, जो पहली बार खेत जाता है, बिना बड़े लोगो के साथ) किसी बगल वाले के खेत मे बीज या खाद छिड़क आता है। इसको दाल का कटोरा भी कहा जाता है।
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गंगा माई की कृपा कई जगहों पर है. यहां चुनार – मिर्जापुर के बीच किरियात का इलाका भी वैसा ही पाया. दूर दूर तक कोई घर सड़क नहीं. जमीन खूब उपजाऊ. सब्जियां बहुत उगाते हैं किसान. बाढ़ में पूरा इलाका जलमग्न हो जाता है.
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chanver kachar ke bare me likhne ke vaste dhanyad
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कितना गेहूँ तो दे जाता है यह कछार, कितने घरों में चूल्हा जलाता है यह। ईश्वर का श्राप भी मुक्तिदायक होता है, लोग कहते हैं।
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बेहद रोचक और ज्ञानवर्धक लेख!
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Dear Bhaiya
In your this post you did not mention , perhaps , because I referred the matter of Chhanve & not Tiranve Tappa mentioned in your FB post & also told about the Shruities & Puranas
That the total area of land consists of
Nearly 96000 bighas so to named Chhanwar meaning 96 & also referred
About the ‘Yajnas’ performed by Dakshya Prajapati the father-in-law of Lord Shiva( daughter – Sati) who had
Given her ‘Pranas’ to end her life because of the curse – by Lord Shiva not to meet her again in this life for
Her ‘Chhalas’ towards Lord Rama when
He was wandering about in search of
Jagat-Mata Sita in their Van-Gaman.
We expect from you to mention any body’s Contributions to make your future Blogs a meaningful one.
Regards
Anand
Shiv Sankalap Kinh Man Mahin
Yah Tan Sati Bhent Ab Nahin
May be referred the ‘BalKanda’ early
Stage in Manas Kanda- By Goswami Ji
Regards
Anand
Sent from BlackBerry® on Airtel
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ब्लॉग पर इस इनपुट के लिये बहुत बहुत धन्यवाद; आनन्द! आपके फेसबुक पर दिये इनपुट को लिंक कर क्रेडिट देना था। उसमें चूक हुई! क्षमा याचना।
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वास्तव में ही, पकी गेहूं से भरे खेतों का अथाह विस्तार यूं लगता है मानो सोने की परत बिछी हो…
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