परसों 21 फरवरी को मैं गोण्डा-लखनऊ खण्ड में निरीक्षण के लिये बने दल में बतौर परिचालन विभाग के विभागाध्यक्ष, शामिल था। इस क्षेत्र से परिचय का मेरा पहला मौका। श्री के के अटल, महाप्रबन्धक, पूर्वोत्तर रेलवे ने दस दिन पहले मुझसे कहा था कि 20 तारीख तक पूर्वोत्तर रेलवे पर अपना पदभार संभाल लूं, जिससेContinue reading “रेल इंस्पेक्शन स्पेशल”
Monthly Archives: Feb 2014
क्या कहूं?
प्रियंकर कहते हैं, मैं कवि हृदय हूं; भले ही कितना अपने आप को छिपाने का प्रयास करूं। मैं सहमत होने का जोखिम नहीं लूंगा। ढेर सारे कवियों की कवितायें सुनने और उन्हे एप्रीशियेट करने का बर्डन उसमें निहित है। दूसरे यह निश्चित है कि वे समझ में नहीं आतीं। प्लेन/सिंपल सेण्टिमेण्टालिटी समझ में आती है।Continue reading “क्या कहूं?”
जात हई, कछार। जात हई गंगामाई!
जात हई, कछार। जात हई गंगामाई। जा रहा हूं कछार। जा रहा हूं गंगामाई! आज स्थानान्तरण पर जाने के पहले अन्तिम दिन था सवेरे गंगा किनारे जाने का। रात में निकलूंगा चौरी चौरा एक्स्प्रेस से गोरखपुर के लिये। अकेला ही सैर पर गया था – पत्नीजी घर के काम में व्यस्त थीं। कछार वैसे हीContinue reading “जात हई, कछार। जात हई गंगामाई!”
