DEMU – डेमू गाड़ी का उद्घाटन समारोह

सादात में डेमू उद्घाटन के दौरान भीड़ को सम्बोधित करते श्री मनोज सिन्हा।
सादात में डेमू उद्घाटन के दौरान भीड़ को सम्बोधित करते श्री मनोज सिन्हा।

अपनी रेल सेवा के दौरान मैने कई ट्रेनों के शुभारम्भ के समारोह देखे हैं। बहुतों में बहुत सक्रिय भूमिका रही है। इन्दौर से देश के विभिन्न भागों में जाने वाली लगभग आधा दर्जन ट्रेनों का शुभारम्भ, अलग-अलग रेल मन्त्रियों द्वारा होते देखा है। माधव राव सिंधिया, नीतिश कुमार, ममता बैनर्जी, लालू प्रसाद यादव के समारोहों की यादें हैं। ये तब के अवसर हैं जब मैं रेल मण्डल स्तर का अधिकारी हुआ करता था। उसके बाद जोनल रेलवे के मुख्यालय – पूर्वोत्तर और उत्तर मध्य रेलवे के मुख्यालयों में आने पर (मेरे कार्य की प्रकृति बदलने के कारण) – ट्रेनों के उद्घाटन समारोहों में जाने का सिलसिला लगभग समाप्त हो गया था।

हाल ही में पूर्वोत्तर रेलवे के मुख्य परिचालन प्रबन्धक बनने पर यह उद्घाटन समारोहों में जाने का सिलसिला पुन: कुछ प्रारम्भ हुआ। रेल राज्य मन्त्री श्री मनोज सिन्हा ने मण्डुआडीह (वाराणसी) से दो ट्रेनों को हरी झण्डी दिखाई। उन समारोहों में मैं उपस्थित था।

अब, तीस जून को एक ट्रेन के उद्घाटन समारोह में जाने का अवसर मिला। यह अलग प्रकार की रेलगाड़ी थी और अलग प्रकार के जगह पर उसका उद्घाटन हो रहा था।

मऊ से बरास्ते वाराणसी, इलाहाबाद सिटी को जाने वाली एक डीजल-इलेक्ट्रिक-मल्टीपल-यूनिट (DEMU) सवारी गाड़ी – जो सभी स्टेशनों पर रुकती है – के शुभारम्भ का कार्यक्रम था यह। माननीय  रेल राज्य मन्त्री श्री मनोज सिन्हा उसका उद्घाटन करने जा रहे थे। उद्घाटन किसी प्रमुख नगर – इस मामले में मऊ, इलाहाबाद या वाराणसी – में न हो कर एक छोटे स्टेशन सादात में होने जा रहा था। एक प्रकार से यह सही भी था – छोटे स्टेशनों की जरूरतों को पूरा करने वाली ट्रेन का उद्घाटन भी एक छोटे स्टेशन पर हो।

सादात स्टेशन पर बनारस से सड़क मार्ग से हम घूम-घाम कर पंहुचे। पहले आशापुर-पांड़ेपुर के आस पास ट्रैफिक जाम में फंसे रहे पौना घण्टा। एक बस और एक टैंकर वाले आमने सामने भिड़े हुये थे। कोई अपनी जगह से टस से मस नहीं हो रहा था। अंतत:, समय से थक हार कर दोनो शायद थोड़ा थोड़ा पीछे हटे और हमें निकलने का मौका मिल गया। अन्यथा लगने लगा था कि उद्घाटन कार्यक्रम में चूक जी जायेंगे हम। सड़क आगे अच्छी मिली। सैदपुर के आसपास हम गंगा नदी के पास से गुजरे। वहां का दृष्य देख कर लगा कि लौटानी में कुछ समय गंगा किनारे व्यतीत करना उचित रहेगा। वही बाद में किया भी।

मुख्य सड़क से सादात स्टेशन को पंहुचने का रास्ता टेढ़ा-मेढ़ा था। टेढ़ा-मेढ़ा और कहीं कहीं संकरा भी। लोग हमें कौतूहल से देख भी रहे थे। कहीं कहीं झोंपड़ियां और गुमटियां थीं तो बीच में इक्का-दुक्का पक्के मकान (जिन्हे शहर के स्तर से भी आलीशान कहा जा सकता है) भी थे। मुझे लगने लगा था कि यह पक्का सामंती इलाका है – जहां गरीबी और पिछड़ेपन के बीच सम्पन्नता के द्वीप हैं। मुझे यह भी बताया गया कि इस इलाके में कई कॉलेज हैं और वहां के छात्र बहुत उत्पाती हुआ करते थे। पहले जब यहां लाइन क्लियर लेने के लिये टोकन की व्यवस्था थी तो ट्रेने ज्यादा देर तक रोकने के लिये वे रेलवे स्टाफ से टोकन छीन कर फैंक दिया करते थे। अब भी यहां चेन खींचने की घटनायें आम से अधिक हैं।


अगले दिन मुझे मेरे साले जी – शैलेन्द्र दुबे ने बताया कि यह इलाका समाजवादी पार्टी का गढ़ हुआ करता था। श्री मनोज सिन्हा ने वह इस बार संसदीय चुनाव में जीत हासिल कर वह गढ़ ध्वस्त कर दिया। सादात के इलाके से श्री सिन्हा को व्यापक समर्थन मिला। इस भाग में लगभग क्लीन स्वीप मिली उन्हे।


अंतत: हम समय से रेलवे स्टेशन पंहुच ही गये। डेमू ट्रेन सजी, संवरी अपने इनॉग्युरल रन के लिये प्लेटफार्म पर तैयार खड़ी थी। सादात स्टेशन पर प्लेटफार्म के ऊंचा करने का काम चल रहा है। उसके कारण व्यवधान था। व्यवधान पिछले दिनों हुई बारिश के कारण भी था। पर उसके बावजूद बहुत से स्थानीय उस ट्रेन को देखने के लिये वहां उपस्थित थे। कुछ तो नाच भी रहे थे।

उद्घाटन के लिये सजी डेमू सवारी गाड़ी। सादात स्टेशन पर।
उद्घाटन के लिये सजी डेमू सवारी गाड़ी। सादात स्टेशन पर।

स्टेशन के सामने पण्डाल बना था। पूरे पण्डाल स्थल पर कारपेट बिछा था। बिछाना वैसे भी जरूरी हो गया था – बारिश के कारण अगर कारपेट न होता तो चलना कठिन होता। पण्डाल, शामियाना और मंच की गुणवत्ता सादात जैसे छोटे स्टेशन की तुलना में काफी अच्छी कही जायेगी।

मंत्री महोदय समय पर आये। उन्हे देख कर भीड़ में जो रिस्पॉंस दिखा, वह एक नेता के क्षेत्र में औपचारिक दौरे जैसा नहीं था। लगभग हर व्यक्ति उन्हे ऐसे देख रहा था या उन्हे ऐसे सम्बोधित कर रहा था मानो श्री सिन्हा उसी के खासमखास हों। वे हर व्यक्ति से उसका ज्ञापन स्वयम ले रहे थे। वह जो कह रहा था उसे सुन भी रहे थे और उसके कहे पर आश्वासन और प्रतिक्रिया भी दे रहे थे। … मुझे दशकों पहले माधव राव सिन्धिया जी के कार्यक्रम की याद हो आयी। वहां तीस-चालीस कदम की दूरी रखी जा रही थी भीड़ की उनसे और एक दो व्यक्ति लोगों से ज्ञापन ले कर तह लगाने के बाद एक बोरी में इकठ्ठा कर रहे थे। शायद सिन्धिया जी श्रीमंत थे जिनके लिये लोगों से सम्बन्ध राजा-प्रजा वाले थे; और, उसके उलट सिन्हा जी जमीन से जुड़ी राजनीति कर रहे थे।

समारोह के दौरान जनता से बोलते-बतियाते श्री मनोज सिन्हा।
समारोह के दौरान जनता से बोलते-बतियाते श्री मनोज सिन्हा।

मैं मन्त्री महोदय के पीछे बैठा था और उनका जनता के साथ इण्टरेक्शन बड़ी बारीकी से देख रहा था। अपने ब्यूरोक्रेटिक जीवन में दो दर्जन से अधिक सांसदों और मांत्रियों को बारीकी से देखा है मैने। अपने समधी (गिरिडीह के लोक सभा सदस्य, श्री रवीन्द्र पाण्डेय) के साथ भी समय व्यतीत करने का पर्याप्त अनुभव है। मैने इन अधिकांश नेताओं को अच्छी ग्रास्पिंग पावर का पाया था। उनका जनता और भीड़ को देख ‘हरियरा जाना’ भी मैने ऑब्जर्व किया है। पर जनता का उनको देख कर इस प्रकार प्रसन्न होना – जैसा यहां समारोह में देख रहा था – कम ही (या शायद नहीं ही) देखा है मैने।

इस लिये, समारोह के बाद जब मंत्री महोदय के साथ कुछ क्षण गुजारने का समय मिला; तब मैने यह कहा भी – “बहुत आत्मीय भीड़ थी। बहुत भारी संख्या में और बहुत आत्मीय।”

इस प्रकार के छोटे स्टेशन पर उद्घाटन समारोह का आयोजन करना रेलवे प्रशासन के लिये झंझटिया काम हो सकता है। शायद कुछ लोग कुड़बुड़ा भी रहे हों और इसे सामान्य प्रक्रिया के विपरीत बता रहे हों। पर अगर लोगों का सही रिस्पॉंस ही एक घटक हो समारोह का; तो यह सादात में (छोटे स्टेशन पर) समारोह को मैं सम्भवत: सब से अच्छा समारोह मानूंगा अपने करीयर में।

इस इलाके को डेमू सेवा देना और उसका उद्घाटन सादात जैसे स्टेशन से करना अगर श्री मनोज सिन्हा की स्थानीय टीम के सोच के बल पर हुआ है, तो मानना पड़ेगा कि उनके पास एक कुशल राजनीतिक-प्रबन्धन की टीम है। और अगर यह उनका अपना तय किया था, तो उनके राजनीतिक प्रबन्धन को मास्टर-स्ट्रोक लगाने वाला ही कहा जायेगा।

ग्रामीण जनता का दिल जीतने के लिये डेमू बेहतर है लम्बी दूरी की गाड़ी से। छोटा कदम बेहतर है अंतर महानगरीय छलांगों की अपेक्षा!


Published by Gyan Dutt Pandey

Exploring rural India with a curious lens and a calm heart. Once managed Indian Railways operations — now I study the rhythm of a village by the Ganges. Reverse-migrated to Vikrampur (Katka), Bhadohi, Uttar Pradesh. Writing at - gyandutt.com — reflections from a life “Beyond Seventy”. FB / Instagram / X : @gyandutt | FB Page : @gyanfb

3 thoughts on “DEMU – डेमू गाड़ी का उद्घाटन समारोह

  1. फेसबुक पर प्राप्त टिप्पणियां –
    1. Navin Kumar Rajhans कुछ कुछ नेता जमीन से जुड़े रहते है और लगता है की इन्ही से उम्मीद क्यों न पाल लूँ की कुछ अच्छा करेंगे या कर सकते हैं।
    बाकी छोटे छोटे स्टेशन और गाँव भी इसी देश का हिस्सा है और यहाँ के लोग छोटे से छोटे ख़ुशी के पल को समेत लेना चाहते हैं।
    2. Om Prakash Tiwari इंदौर का विवरण पढ़कर ख़ुशी हुई
    और
    गर्व भी अनुभव हुआ ।
    3. Om Prakash Tiwari इंदौर के लिए एक अलग post लिखे
    यह
    पुनः निवेदन हे ।
    ।। सादर ।।
    4. Er Niteesh Tiwari बहुत सुन्दर ब्लॉग लिखा हैं ,आपने, श्री मनोज सिन्हा उच्च शिक्षित और ग़ाज़ीपुर जनपद में स्वच्छ राजनीती के कुछ गिने चुने चेहरों में से एक हैं , क्योंकि बाहुबल की राजनीती ही इस जनपद की पहचान हैं और पिछड़ेपन का कारण भी , सादात सहित पुरे जनपद में उमंग की लहर हैं , शायद आजादी के बाद पहली बार विकास की लहर चली हैं ,जनपद में ।
    5. Drgirish Gaur Khachrod me rail mantri madhav rao sindhiya ke photos aaj mere jankari me hai.

    Like

आपकी टिप्पणी के लिये खांचा:

Discover more from मानसिक हलचल

Subscribe now to keep reading and get access to the full archive.

Continue reading

Design a site like this with WordPress.com
Get started