गांव में बहुत से लोग बहुत प्रकार की नेम ड्रॉपिंग करते हैं। अमूमन सुनने में आता है – “तीन देई तेरह गोहरावई, तब कलजुग में लेखा पावई” (तीन का तेरह न बताये तो कलयुग में उस व्यक्ति की अहमियत ही नहीं)। हांकने की आदत बहुत दिखी। लोगों की आर्थिक दशा का सही अनुमान ही नहींContinue reading “गांव में अजिज्ञासु (?) प्रवृत्ति”
Monthly Archives: Oct 2018
लिखूं, या न लिखूं किताब उर्फ़ पुनर्ब्लागरो भव:
मेरे साथ के ब्लॉगर लोग किताब या किताबें लिख चुके। कुछ की किताबें तो बहुत अच्छी भी हैं। कुछ ने अपने ब्लॉग से बीन बटोर कर किताब बनाई। मुझसे भी लोगों ने आग्रह किया लिखने के लिये। अनूप शुक्ल ने मुझे ब्लॉग से बीन-बटोर के लिये कहा (यह जानते हुये कि किताब लिखने के बारेContinue reading “लिखूं, या न लिखूं किताब उर्फ़ पुनर्ब्लागरो भव:”
माताप्रसाद – कड़ेप्रसाद और शीतला माता का मंदिर
नवरात्रि पर्व के पहले दिन मैं तुलापुर गांव में शीतला माता के मन्दिर गया था। यह मन्दिर जीर्णोद्धार कर बनाया गया है। मूर्तियों से लगता है कि सैकड़ों या हजार साल का रहा होगा वह मंदिर। खण्डित मूर्तियां भी रखी हैं वहां। वैसे यह पूरा इलाका शुंग और कुषाण कालीन अवशेषों से भरा पड़ा है।Continue reading “माताप्रसाद – कड़ेप्रसाद और शीतला माता का मंदिर”
