महाभारत : कच, संजीवनी और शुक्राचार्य का मदिरा पर कथन

कल लॉकडाउन के दूसरे पक्ष की समाप्ति पर मदिरा की दुकानें खुलीं और उनपर पंहुचने वालों की भीड़ लग गयी। लोग बड़े बड़े पात्र खरीद कर लाते दिखे। कई स्थानों पर महिलायें भी मदिरा खरीदने की पंक्ति में लगी दिखीं। कुल मिला कर मीडिया-सोशल मीडिया पर यह बहुत रोचक प्रसंग के रूप में दिन भर चला। अगले दिन, आज, उसकी चार छ कॉलम की मुख्य हेडलाइन के रूप में अखबारों में रिपोर्ट है।

मदिरा को लेकर महाभारत में; कच, देवयानी, शुक्राचार्य, संजीवनी, सुर और असुर के ताने-बाने में कहा रोचक क्षेपक है। सुर त्रस्त हैं कि शुक्राचार्य के पास संजीवनी है। असुर जो संग्राम में आहत होते हैं, शुक्राचार्य उन्हें पुन: स्वस्थ कर देते हैं। संजीवनी के असुरों के पास होने से उनपर विजय पाना सम्भव नहीं है।

सुर, वृहस्पति के पुत्र और अंगिरा ऋषि के पौत्र कच को शुक्राचार्य के पास भेजते हैं संजीवनी विद्या सीखने के लिये। कच पूरी निष्ठा से शुक्राचार्य का शिष्यत्व निभाता है। पर असुर जान जाते हैं कि कच का ध्येय क्या है। वे कच को मार कर टुकड़े कर कुत्तों को खिला देते हैं। देवयानी, जो कच के मोह में है, अपने पिता शुक्राचार्य से कच को वापस लाने का आग्रह करती है। संजीवनी का प्रयोग कर शुक्र कच को पूर्ववत बना देते हैं। अगली बार असुर कच को मार कर उसकी राख समुद्र में डाल देते हैं। शुक्र फिर कच को देवयानी के आग्रह पर वापस लाते हैं।

असुर

तीसरी बार असुर कच को मार कर उसकी राख मदिरा में मिला कर शुक्राचार्य को ही पिला देते हैं। शुक्राचार्य, एक आंख के ऋषि, असुरों के साथ रहते हैं तो कुछ आदतें उनमें आसुरिक भी होंगी ही। अन्यथा महाभारत काल में किसी ब्राह्मण को मदिरा पान करते नहीं दर्शाया गया।

शुक्र जब कच का आवाहन करते हैं तो वह उनके पेट से ही उत्तर देता है। शुक्राचार्य असुरों की चाल समझ जाते हैं। अंतत: वे संजीवनी विद्या कच को सिखाते हैं। उसके बाद संजीवनी से कच को जीवित करते हैं और कच को जीवित करने की प्रक्रिया में शुक्राचार्य शव बन जाते हैं। कच फिर संजीवनी विद्या से अपने गुरु शुक्राचार्य को पूर्ववत जीवित करता है।

मदिरा के विषय में शुक्राचार्य के मुंह से वैशम्पायन व्यास, महाभारत में जो कहलवाते हैं, वह महत्वपूर्ण है। वह मानव जाति के लिये एक गहन संदेश है। राजाजी की पुस्तक महाभारत में वह इस प्रकार लिखा है –

मनुष्य, जो अविवेक के वशीभूत हो कर, मदिरा पान करता है, सद्गुण उसका साथ छोड़ देते हैं। वह सभी के लिये उपहास का पात्र बन जाता है। मेरा यह संदेश पूरी मानव जाति के लिये है और इसे धर्मग्रंथ की अनिवार्य निषेधाज्ञा मानना चाहिये।

कल उमड़ी भीड़ वाले मदिरा-साधकगण शुक्राचार्य की बात पर ध्यान देंगे या नहीं, कहना कठिन है। धर्मग्रंथों की निषेधाज्ञा को आजकल वर्जनातोड़क “प्रबुद्ध” जनता जूते की नोक पर रख कर चलती है! पर आजकल महाभारत बहुत देखा जा रहा है और चर्चा में भी है। कहते हैं महाभारत भारतीय एन्साइक्लोपीडिया है। हर विषय पर उसमें क्षेपक और आख्यान मिल जायेंगे। शायद किसी पर कुछ प्रभाव पड़े।

सो, मदिरा के बारे में जो मिला, वह मैंने ऊपर प्रस्तुत किया।


Published by Gyan Dutt Pandey

Exploring village life. Past - managed train operations of IRlys in various senior posts. Spent idle time at River Ganges. Now reverse migrated to a village Vikrampur (Katka), Bhadohi, UP. Blog: https://gyandutt.com/ Facebook, Instagram and Twitter IDs: gyandutt Facebook Page: gyanfb

One thought on “महाभारत : कच, संजीवनी और शुक्राचार्य का मदिरा पर कथन

  1. bahut badhiya vivchan aur vichar / ek bat o saf hai ki is desh ki janta ke pas paisa khub hai aur jo inake sath ghadiyali ansu bahate hai ve aise tatvo ka utsah badhate hai / delhi me 100 rupaye ki madira 170 rupaye ki aur petrol 2 se lekar 8 rupaye prati litre bik raha hai , is par congress, sp, bsp, aur dusari dharma nirpeksh parties shant baithi hai aur kejarival ka gungan kar rahi hai mamta bhi nahi boli / ye charitra jab neta denge is desh ki janata ko to jaisa pane kaha hai usaka koi manane wala bhi nahi hai /

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