हेड वेटर


तालियां बज रही थीं। सब खुश थे। हेड वेटर के लिये रुटीन था। अन्य कर्मचारियों के लिये भी – सभी निस्पृह भाव से काम कर रहे थे।

‘अन्नदाता’ पर विचार


मैं अपनी छ दशक की जिंदगी में साम्यवाद और समाजवाद की समस्याओं को सुलझाने में असमर्थता को देख चुका हूं। वे मुझे समाधान देते नजर नहीं आते। और यह ‘अन्नदाता’ आंदोलन या प्रतिपक्ष कोई वैकल्पिक ब्ल्यू-प्रिण्ट भी नहीं रखता। हंगामा खड़ा करना ही उनका मकसद लगता है।

घणरोज और अन्य वन्य जीव


नील गाय के अलावा कभी कभी खरगोश सड़क पार करते दिख जाते हैं। वह इतना कम और इतनी जल्दी होता है कि चित्र नहीं ले पाया। सियार भी सांझ के धुंधलके में दिख जाते हैं यदा कदा। कुआर-कार्तिक में उनकी हुंआं हुंआं रात भर सुनाई देती है।

Design a site like this with WordPress.com
Get started