गांव में पांच सौ मीटर परिधि में जो दो कोरोना केस हैं, उसका कोई हल्ला नहीं है। पिछले साल तो कोई सामान्य बीमार भी होता था तो सनसनी फैल जाती थी। क्वारेण्टाइन करा दिये जाते थे लोग। बास बल्ली गड़ने लगती थी।
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विकास चंद्र पाण्डेय से लिया शीशम का शहद
मैंने सोचा – सच में तमस छोड़ना चाहिये और सात्विक भोजन – शहद जिसमें सम्मिलित हो – अपनाना चाहिये। जीवन शहदमय हो!
स्टेटस – नूरेशाँ मनिहारिन
औरतों की जरूरतें पूरी करने के लिये मनिहारिन अभी भी प्रासंगिक है। गांव की औरतें आज भी बाजार नहीं के बराबर निकलती हैं।
