गांव की सड़क पर बारिश के मौसम की शाम


मैं देर तक रुका नहीं; यद्यपि सांझ के गोल्डन ऑवर की सूरज की किरणों में वह जगह बहुत आकर्षित कर रही थी। मैंने अपने को दो – ढाई हजार साल के अतीत के टाइम फ्रेम से अपने को वर्तमान में धकेला और घर के लिये रवाना हो गया।

बहुत बसें रुकती हैं राघवेंद्र के भोलेनाथ फूड प्लाजा पर


राघवेंद्र ने व्यर्थ के सामान-सजावट में पैसा बर्बाद नहीं किया है। त्वरित सर्विस कर एक साथ दो तीन बसों के यात्रियों को संतुष्ट करने का जो सिस्टम बनाया है, वह आकर्षित करता है।

पार्वती मांझी


गांवदेहात की पार्वती न केवल खुद अपने पैरों पर खड़ी है, वरन अपने साथ 5-6 अन्य को भी रोजगार दिला रही है। क्या खूब बात है! हेलो प्रधानमंत्री जी; आर यू लिसनिंग!

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