27 सितम्बर 21 शाम –
… पर यह लग गया कि महिला के पास कोई कपड़ा था ही नहीं। प्रेमसागर ने उसे अपना छाता दे दिया। और मन द्रवित हुआ तो अपनी एक धोती भी निकाल कर उसे दे दी। महिला लेने में संकोच कर रही थी। तब प्रेम सागर ने कहा – “ले लो। तुम्हें यहां जंगल में कोई देने वाला नहीं आयेगा। मेरी फिक्र न करो, महादेव की कृपा रही हो बाद में मुझे कई छाता देने वाले मिल जायेंगे। माई, मना मत करो।”
अमरकंटक में लगता है कुछ दूर छोडने आये थे रमानिवास वर्मा जी। उनके मोबाइल से मिले कुछ चित्र प्रेमसागर ने फारवर्ड किये हैं। एक चित्र में उनकी कांवर का पूरा व्यू है। प्रेमसागर ने बताया कि करीब पैंतीस किलो वजन होगा। पैंतीस किलो वजन के साथ अमरकंटक से करंजिया की 22-25 किमी की पूरी तरह वन से गुजरती सड़क से पदयात्रा की प्रेम सागर ने। जैसा चित्र में दिखता है – पैर नंगे ही हैं। सेण्डल नहीं खरीदी उन्होने। रमानिवास जी के चित्रों में नेपथ्य में नर्मदा का जल है। शायद झील सी बनाई है नर्मदा ने। उसके आगे तो – जैसा प्रेमजी ने बताया – नर्मदा की चौड़ाई 10-15 फिट ही है। आदमी पैदल पार कर ले!
करंजिया तक के रास्ते में पेड़ ही थे वन के। मुश्किल से 12-15 लोग दिखे। चरवाहे। कोई बस्ती नहीं किसी भी तरफ। रास्ता ऊंचा नीचा था। शुरू में नर्मदा दूर दिखीं – कपिलधारा और कबीर आश्रम। उसके बाद तो बंदर ही थे। बहुत से बंदर थे – दो तीन सौ रहे होंगे। झुण्डों में। वह तो अच्छा था कि वर्माजी ने एक डण्डा दे दिया था, वर्ना वे आक्रमण भी कर सकते थे।
एक जगह एक 22 साल की महिला शिशु को लिये जा रही थी। अकेले। धूप तेज थी। गरीब दिखती थी महिला। प्रेम सागर ने उससे कहा कि धूप तेज है, कोई गमछा-कपड़ा उढ़ा दो बच्चे को। पर यह लग गया कि महिला के पास कोई कपड़ा था ही नहीं। प्रेमसागर ने उसे अपना छाता दे दिया। और मन द्रवित हुआ तो अपनी एक धोती भी निकाल कर उसे दे दी। महिला लेने में संकोच कर रही थी। तब प्रेम सागर ने कहा – “ले लो। तुम्हें यहां जंगल में कोई देने वाला नहीं आयेगा। मेरी फिक्र न करो, महादेव की कृपा रही हो बाद में मुझे कई छाता देने वाले मिल जायेंगे। माई, मना मत करो।”
वन विभाग के करंजिया रेस्ट हाउस में पंहुच कर वहां के दो लोगों के साथ एक चित्र भेजा। नाम लिखा – गणेश दुबे और एस के बर्मन। आज ज्यादा चलना नहीं हुआ, पर पैंतीस किलो वजन उठा कर चलना अपने आप में मेहनत का काम है और वह भी जब 1000 मीटर से 800 मीटर की ऊंचाई पर अमरकण्टक का पहाड़ पार किया जा रहा हो – ऊंचाई-नीचाई के साथ।
*** द्वादश ज्योतिर्लिंग कांवर पदयात्रा पोस्टों की सूची *** प्रेमसागर की पदयात्रा के प्रथम चरण में प्रयाग से अमरकण्टक; द्वितीय चरण में अमरकण्टक से उज्जैन और तृतीय चरण में उज्जैन से सोमनाथ/नागेश्वर की यात्रा है। नागेश्वर तीर्थ की यात्रा के बाद यात्रा विवरण को विराम मिल गया था। पर वह पूर्ण विराम नहीं हुआ। हिमालय/उत्तराखण्ड में गंगोत्री में पुन: जुड़ना हुआ। और, अंत में प्रेमसागर की सुल्तानगंज से बैजनाथ धाम की कांवर यात्रा है। पोस्टों की क्रम बद्ध सूची इस पेज पर दी गयी है। |

28 सितम्बर 21, सवेरे –
कल प्रेमसागर से बात नहीं हो पाई। रास्ते भर फोन नहीं लगा। जंगल में शायद नेटवर्क नहीं काम करता। करंजिया में भी फोन तो लगा पर आवाज ऐसी नहीं थी कि बात हो सके। मैंने आज सवेरे सवेरे जल्दी ही उनसे बात की। उन्होने कल के यात्रा विवरण के साथ बताया कि रेस्ट हाउस में शारदा लाल यादव जी ने बड़े आग्रह से उन्हें सात आठ चपातियाँ खिला डालीं। चार तो सब्जी के साथ थी। उसके बाद तीन-चार दूध के साथ। “इतना ज्यादा कभी खाता नहीं था मैं”।
खाने के बाद मना करने के बावजूद उन्होने पैर भी दबाये और फिर सारे शरीर की मालिश भी कर दी। यह बताते हुये प्रेम सागर की आवाज में शायदा लाल जी के प्रति कृतज्ञता मिश्रित नमी झलक रही थी।

प्रेम सागर जी ने बताया कि रेस्ट हाउस के आस पास बस्ती नहीं है। कुछ दूरी पर गांव शायद है।
बात सवेरे पांच बजे हुई थी। छ बजे उन्होने उजाला होने पर आसपास के चित्र भेजे। आज वे करंजिया से गाड़ासरई तक की यात्रा करेंगे। गूगल मैप के अनुसार रास्ता ऊंचा नीचा है। आठ सौ पैंतीस मीटर से 729 मीटर की ऊंचाई नीचाई है। आज चलना भी ज्यादा पड़ेगा – करीब चालीस किलोमीटर।
नर्मदे हर! हर हर महादेव! जय हो!

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नर्मदा की परीक्षा में पूरी तरह से पास हो गए प्रेम सागर जी नर्मदा के पुत्रो पुत्रियों पर दया दिखनेवाले पर नर्मदा दुगुना प्रेम लुटाती है | भले ही यह नर्मदा परिक्रमा न हो मगर नर्मदा के पिता की यात्रा जरूर है | ऐसी कौनसी पुत्री होगी जो अपने किनारे पर चल रहे पिता के भक्त को किसी प्रकार की तकलीफ होने दे |
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आगे भी प्रेम सागर के अनुभव अनूठे हो रहे हैं. कल तो वृहन्नलाओं ने भी उन्हें आशीर्वाद दिया!
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उन्होंने अपने वस्त्र उस महिला को दिए, यह एक बहुत ही द्रवित करने वाला नेक कार्य था।प्रेम जी का हृदय प्रेम से भरा हुआ है। शारदा यादव जी द्वारा खाने के बाद पैर दबाना, पूर्णत्या महादेव के भक्ति में पूर्ण आस्था दर्शाता है। दोनो महानुभावों को नमन। 🙏
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जी, इस प्रकार के दृष्टांत मानवता में विश्वास पुख्ता करते हैं!
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Sandeep @SAN_PANDEY ट्विटर पर –
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ऐसा लग रहा है की यह यात्रा और बहोत से लोगो को साथ में यात्रा करवाएगी | नर्मदे हर जिंदगी भर |
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Cynical Indian @CynicSpeak ट्विटर पर – Prem Sagar ji ki yatra par Aapke blog , Amrit Lal Vegad ji ki narmada parikrama par likhi ‘Saounarya Ki nadi Narmada’, ‘Amritasya Narmada’ aur ‘Teere teere Narmada’ sa ras deta hai. Blog jari rakhein aur pustak par vichar karein.
Vegad ji ke darshan 2011 mein Jabalur mein unke niwas par jaa kar kiya tha. Aasha hai ki
@GYANDUTT ji, aapse bhi kabhi milne ka saubhagya milega. Aap apne anubhav saajha krte rhein
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प्रिया Priya @banaras_wali ट्विटर पर – प्रेम सागर जी के रोज़ रोज़ के किससे सुन तो यही लगता है –
जहाँ चाह
वहाँ राह। यह तो निजी जीवन में थोड़ा गौर से देखना पड़ेगा।प्रेरणा सूचक चल रही है पांडेय जी की यात्रा।
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अंजनी कुमार सिंह @SinghK_Anjani05, ट्विटर पर – आपके वर्णन के आधार पर मेरा अनुभव यही कहता है कि कांवर थोड़ा भारी बनबा लिया प्रेमसागर जी ने । उनका मिशन बहुत लंबा है अतः प्रयास यही होना चाहिए कि लगेज कम से कम हो सिर्फ नितांत जरूरी चीज ही , बाकी का प्रबन्ध तो भोलेनाथ कर ही देंते है ।
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प्रेमसागर जी को प्रणाम … उनकी शिव भक्ति को शत शत नमन… प्रतीत होता है की प्रेमसागर पुस्तक प्रकाशन योग्य कच्चा माल प्रदान कर देंगे.
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प्रेम सागर जी की ऊर्जा संक्रामक है! 😊
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भोले के भक्त भोले भाले , जय हो भोले नाथ की और उनकी पुत्री मैया नर्मदा की जय हो बारम्बार जय हो |
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🙏 धन्यवाद कृष्ण देव जी!
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Sir bahut hi badiya jungle ka sachitr varnan mill raha h avam Prem Sagar ji ka dayalu nature sunder
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हाँ. प्रेम जी सरल और दयालू चरित्र हैं. उनके बारे में लिखना अच्छा लगा रहा है.
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