कृपया गड़ौली धाम के बारे में “मानसिक हलचल” ब्लॉग पर पोस्टों की सूची के लिये “गड़ौली धाम” पेज पर जायें। |
आज सवेरे गौ-गंगा-गौरीशंकर (गौगंगौरी) वाली जगह गया तो सतीश सिंंह ने बताया कि गंगा किनारे प्लेटफार्म बन गया है जहां रोज शाम सूर्यास्त के समय गंगा आरती हुआ करेगी। आज शुभ दिन है। कार्तिक पूर्णिमा के दिन देव दीपावली मनाई जाती है। आज से यहां गंगा आरती नित्य करना प्रारम्भ होगा।
देवदीपावली होने के कारण सतीश वहां 500 दिये जलाने का इंतजाम भी कर रहे हैं। उन्होने मुझे भी आने के लिये आग्रह किया है। मेरी पत्नीजी 25-50 दीये और तेल ले कर चलेंगी वहां। वाहन चालक को सजेह दिया है कि चार बजे शाम हम जायेंगे गौगंगौरी स्थल पर।

परियोजना में गंगा तट पर, जहां महादेव मंदिर बनना है, वहीं यह प्लेटफार्म बन रहा है। उसपर पटिया साँझ से पहले लग जायेगा। प्लेटफार्म के नीचे दो चेंबर हैं जिनमें वहां नित्य की गंगा आरती का सामान रखा जा सकेगा। उनपर दरवाजा भी लगेगा। सतीश ने मुझे वह सब दिखाया। हम दोनो वहां अपनी अपनी साइकिल से पंहुचे।

परिसर में कुशा की घास साफ कर दी गयी है तो उसमें रहने वाले चींटों के बिल और उनके खोद कर बाहर लाये मिट्टी के ढूह नजर आते हैं। सतीश ने बताया कि ओझा जी ने मंदिर के स्थापत्य वालों को कहा है कि मंदिर की योजना इस तरह से बनायें जिससे चींटे भी रहें और महादेव भी। प्रकृति को सैकड़ों साल लगते हैं जमीन को एक आकार देने में – कहीं ऊंचाई और कहीं नीचाई। उसका सम्मान किया जाना चाहिये। आकार के साथ कम से कम छेड़छाड़ की जानी चाहिये। इससे स्थापत्य-निर्माण वालों को कष्ट हो सकता है पर महादेव खूब प्रसन्न होंगे!

सवेरे सतीश के साथ 15-20 मिनट मिलना होता है और इस प्रकार की कई बातें सतीश मुझे बताते हैं। अगर नित्य का वह सब ब्लॉग पर संजोया जाये तो गौगंगौरी किस प्रकार बनेगा उसका एक दस्तावेज बन जायेगा। प्रेमसागर की कांवर पदयात्रा लेखन के समांतर यह भी करो ज्ञानदत्त! रिटायर हो, बैठे-ठाले और क्या करोगे! 🙂

पास में ही एक जगह से ढलान दे कर गंगा तीर पर जाने का रैम्प जैसा रास्ता बन जायेगा जिससे लोग जा कर नदी किनारे दीये रख सकें। सतीश सिंह ने कहा कि पचीस पचास लोग इकठ्ठा होंगे। कटका के भाजपा बूथ प्रभारी विशाल जी अपने साथ दस बीस गण ले कर आयेंगे – ऐसा बताया है। शायद प्रयाग से सुनील ओझा जी भी आयेंं। वे आये तो उनकी कृपा के इच्छुक पचीस तीस लोग तो आ ही जायेंगे। दो आदमी – मेरी पत्नीजी और मैं भी जुड़ जायेंगे उस समूह में।
सतीश बताये कि कल थाने वाले भी आये थे। पूछ रहे थे कि कोई समस्या तो नहीं आती। कप्तान साहेब उनसे रिपोर्ट मांगते हैं तो बेचारों को इस झाड़ झंखाड़ में आने की जहमत उठानी पड़ रही है।
गंगा का किनारा और गौंगंगौरी का पूरा विस्तार देख कर मेरे मन में शिवकुटी के गंगा किनारे घूमने के दिन याद आते हैं। वहां घर से 300 कदम दूर पैदल चल कर रोज पंहुच जाता था, यहां मुझे आधा घण्टा साइकिल चला कर पंहुचना होता है। इसमें द्वारिकापुर-अगियाबीर के नाले में साइकिल धकेलना भी शामिल है।
ओझा जी एक पास आजकल ढेरों लोग अपने अपने स्वार्थ को ले कर चक्कर मारते हैं। मैं सोचता हूं कि इसी बहाने अगर इस नाले पर एक पुल बन जाये तो आनंद आ जाये। बरसात के मौसम में भी इस उत्तरापथ पर आना सुगम हो जाये। यह उत्तरापथ – गंगा किनारे से पटना तक – जाने वाला मार्ग पौराणिक है। इसी पर अगियाबीर का वह टीला है जिसमें आज से तीन हजार वर्ष पूर्व का औद्योगिक नगर दफन है।
खैर, असल बात यह है कि आज से गंगा आरती प्रारम्भ होगी गौंगंगौरी स्थल पर और आज 500+ दीपक भी जलेंगे वहां गंगा तीरे।
त्रिपुरारि शिव ने आज ही के दिन त्रिपुरासुर का संहार कर तीनों लोकों को उसके आतंक से मुक्त किया था और देवों ने दीप जला कर दिवाली मनाई थी। आप सब को देवदीपावली पर मंगलकामनायें। हर हर गंगे; हर हर महादेव!
आदरणीय ज्ञान दत्त जी।
आपका लिखा पढ़ कर आनंद संतोष और एक कुतूहल भी होता है। प्रेम सागर जी की काँवर यात्रा केबीच गौगंगौरी की यात्रा का वर्णन सुखद लगा। यह first hand अनुभवों का वृत्तांत है।
आपके ब्लॉग हिंदी भाषा और पूर्वी भारत में गंगा तट के जीवन को समझने का महत्वपूर्ण दस्तावेज है।
LikeLiked by 1 person
जय हो राकेश जी! टिप्पणी के लिए आपका आभार!
LikeLike
Interesting report.
LikeLiked by 1 person