भीमाशंकर – सातवाँ ज्योतिर्लिंग दर्शन सम्पन्न


प्रेमसागर अब एस्केप वेलॉसिटी पा चुके हैं। शायद। अब उनके पास इतने अधिक सम्पर्क हैं, इतना नेटवर्क है कि फोन पर बतियाने में ही समय जाता होगा, प्रकृति और आसपास के निरीक्षण में नहीं। मेरे हिसाब से वे एक विलक्षण यात्रा को रेत की तरह झरने दे रहे हैं!

शवदाह पश्चात पूड़ी मिठाई


कड़े प्रसाद तो अपनी नमकीन बेच कर, हमेशा की तरह गेट बिना बंद करने की जहमत उठाये चले गये। पर मुझे जीवन-मृत्यु-श्मशान-वैराज्ञ-उत्सव और दीर्घायु आदि के मुद्दे सोचने के लिये थमा गये।

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