नजर झाड़ना, ओझाई-सोखाई, डीहबाबा की पूजा, सत्ती माई को कढ़ईया चढ़ाना – ये सब ऑकल्ट कृत्य अभी भी चल रहे हैंं! हर लाइलाज मर्ज की दवा है इन कृत्यों में। मैंने गुन्नीलाल पाण्डेय जी से पूछा – कोई कोरोना की झाड़ फूंक वाले नहीं हैं?
Monthly Archives: Jan 2022
चार जनवरी की सुबह और कोहरा
कोहरा मेरा प्रिय विषय है। जब रेल का अफसर था तो बहुत भय लगता था कोहरे से। बहुत सारी दुर्घटनायें और ट्रेन परिचालन के बहुत से सिरदर्द कोहरे के नाम हैं। पर रेल सेवा से मुक्त होने पर कोहरे का रोमांच बहुत लुभाता है।
सूर्यमणि तिवारी जी और मानस पाठ
सच तो यह है कि न जाने कितनो की रोजी रोटी उनसे जुड़ी हुई है और उन सबके घर में शाम का चूल्हा उनके अथक परिश्रम से जलता है। उनका बीमार होना उन सबके मानसिक पटल पर भी एक तनाव लाता होगा।
ऐसे कर्मठ लोगों की समाज को बहुत आवश्यकता है।
