अमरनाथ ने बढ़िया सिला। उम्मीद से ज्यादा अच्छा।
“गुरुजी, बार बार आपको दुकान पर आना न पड़े, इसलिये सिल कर घर पर ही ले आया हूं। आपके बगल के गांव मेदिनीपुर में ही मेरा घर है। नया-पुराना, जौन भी काम हो मुझे दीजियेगा।”
Author Archives: Gyan Dutt Pandey
दीनानाथ की मेहरारू
घर गांव में उनसे उम्रदराज लोग जा चुके। अब वे ही हैं। ऐसा कहने में उनके स्वर में बहुत दुख का भाव नहीं आया। यूं बताया कि वह एक सत्य का वर्णन हो। जीवन की गति और नश्वरता सम्भवत उन्होने स्वीकार कर ली है।
वर्षा – ग्रेजुयेट चायवाली
मेरे पास और रुक कर वर्षा से बातचीत करने का अवसर नहीं था। अन्यथा बहुत से प्रश्न मन में थे। पति क्या करते हैं? बच्चे कितने बड़े हो गये हैं। घर का रहन सहन, स्तर कैसा है। आदतें मध्यवर्गीय हैं या वर्किंग क्लास की?…
