अब, इतनी जिंदगी बीत जाने के बात पता चला कि रुद्राक्ष की 108 जप की माला के साथ एक साक्षी-माला का विधान है। इस माला में 20 मनके होते हैं जो मोटे धागों की लड़ी से गुंथे होते हैं। यह माला खुली होती है – एक लकीर की तरह।
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सुमित पाण्डेय, फर्नीचर निर्माता
सुमित ने मुझे एक छोटी चौकी उपहार स्वरूप बना कर दी है। मेरे मन माफिक। उसका प्रयोग मैं बिस्तर पर बैठ लिखने-पढ़ने के लिये करता हूं।
व्यक्ति की जिस चीज में आसक्ति हो और कोई वह उपहार स्वरूप दे दे तो उस व्यक्ति को कभी भूलता नहीं वह।
बढ़ती उम्र में धर्म का आधार
सही मायने में वानप्रस्थ का अनुभव तो मैने किया ही नहीं। अभी भी राजसिक वृत्ति पीछा नहीं छोड़ती। लोगों, विचारों और परिस्थितियों की सतत तुलना करने और एक को बेहतर, दूसरे को निकृष्ट मानने-देखने की आदत जीवन से माधुर्य चूस लेती है।
