लोग मार्जिनल काश्तकार है। इस दशा में दूध का काम बेहतर विकल्प है। लोगों को गेंहू, चावल की मोनो कल्चर से इतर सब्जी लगानी चाहियें, दूध उत्पादन पर जोर देना चाहिये। उसके लिये जरूरी है मार्केट।
Category Archives: ग्राम्यजीवन
जमुना मोची से चप्पल खरीदी, और सीखा भी!
बहुत कुछ सीखना होगा जमुना से। पहला तो यही सीखना है कि रोज 6-8 घण्टा काम करने का रुटीन बनाया जाये। अपना शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य सही रखा जाये और जमुना की तरह जीवन का एक ध्येय तलाशा जाये!
नन्हकी
नन्हकी संतोषी जीव नहीं है। जो उसे मिलता है, उसे हमेशा कम बताती है। कुछ और या किसी और चीज की मांग करती है। जल्दी हिलती नहीं। हार कर उसे “कुछ और” दिया जाता है।
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