वह व्यक्ति नहीं है, गाय गोरू भी नहीं है। वह गांव की सड़क है। उसके एक ओर रेलवे लाइन है। अगर लाइन का अवरोध न होता तो वह नेशनल हाईवे-19 तक जाती। दूसरी ओर द्वारिकापुर गांव है जो गंगा नदी के तीर पर है। कुल मिला कर यह सड़क, डेढ़ी, रेलवे लाइन और गंगा नदीContinue reading “डेढ़ी – डेढ़ किलोमीटर लम्बी गांव की सड़क”
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हनक-ए-योगी
द्वारिकापुर गंगा किनारे गांव है। जब मैने रिटायरमेण्ट के बाद यहां भदोही जिले के विक्रमपुर गांव में बसने का इरादा किया था, तो उसका एक आकर्षण गंगा किनारे का द्वारिकापुर भी था। यह मेरे प्रस्तावित घर से तीन किलोमीटर दूर था और इस गांव के करार पर बसा होने के बावजूद गंगा तट पर आसानी सेContinue reading “हनक-ए-योगी”
काला सिरिस (Albizia lebbeck) का सूखा पेड़
नेशनल हाइवे से दिखता था। सफ़ेद विशालकाय वृक्ष। अगर छोटा होता तो मैं उसे कचनार समझता। इस मौसम में कचनार फूलता है। उसके फूल बैंजनी होते हैं पर कोई कोई पूरे सफ़ेद भी होते हैं। जब फूल लदते हैं तो पत्तियां नहीं दिखतीं। पूरा वृक्ष बैंजनी या सफ़ेद होता है। पर यह कचनार नहीं था।Continue reading “काला सिरिस (Albizia lebbeck) का सूखा पेड़ “
