
द्वारिकापुर गंगा किनारे गांव है। जब मैने रिटायरमेण्ट के बाद यहां भदोही जिले के विक्रमपुर गांव में बसने का इरादा किया था, तो उसका एक आकर्षण गंगा किनारे का द्वारिकापुर भी था। यह मेरे प्रस्तावित घर से तीन किलोमीटर दूर था और इस गांव के करार पर बसा होने के बावजूद गंगा तट पर आसानी से आया जाया जा सकता था। पास में अगियाबीर का टीला है जिसमें पुरातत्व विभाग वाले खुदाई करते हैं। कुल मिला कर सवेरे भ्रमण करने के लिये अच्छा रोमांच हो सकता था यह स्थान।

पर वैसा हुआ नहीं। विक्रमपुर में बसने के बाद जब -जब मैं द्वारिकापुर गया; अवैधावैध गंगा बालू उत्खनन करने वालों को सक्रिय पाया। लगभग ८-१० बड़ी डीजल मोटर-बोट हमेशा वहां सक्रिय पायीं। गंगा उस पार मिर्जापुर जिले में गंगा के कछार से बालू खन कर वे इस पार लाती थीं। और वह बालू नावों से ट्रैक्टर ट्रॉलियों में ट्रान्स-शिप हो कर निर्माण काम के लिये ले जाया जाता था। इस पूरे धन्धे का ९०-९५ प्रतिशत अवैध हुआ करता रहा होगा। खनन माफ़िया, पुलीस और प्रदेश प्रशासन के कई महकमे इसमें मौज करते थे – गंगा नदी का चीर हरण करते कौरव!
शुरू के कुछ महीनों में वहां गया, पर हर बार वही दृष्य मिलने के कारण मैने जाना छोड़ दिया।
आज सवेरे यूं ही चला गया वहां राजन भाई के साथ। हम दोनो साइकल पर निकले। सवेरे भ्रमण के हिसाब से कुछ देर हो गयी थी। अत: ज्यादा दूर कमहरिया न जा कर हम द्वारिकापुर पंहुच गये। सवेरे साढ़े सात बज चुके थे। खनन वालों के काम करने का समय हो चुका था, या यूं कहें कि बालू लदी नावों का एक फेरा लग चुका होना चाहिये था अब तक।
पर द्वारिकापुर के गंगा तट पर आश्चर्यजनक रूप से सन्नाटा दिखा। नावें किनारे बंधी थी। हर नाव पर करीब ६-८ श्रमिक हुआ करते थे, लेकिन कोई नहीं था आज।
कुछ समय लगा माजरा समझने में। यह आदित्यनाथ योगी के मुख्यमन्त्री बनने की हनक थी जिसने गंगा का चीर हरण रुकवा दिया था। माफिया दुबक गया था। पुलीस और सरकारी इन्स्पेक्टर-राज कुनमुना कर सीधा हो गया था। मोटरचलित नावें किनारे पर खड़ी जरूर थीं – यह भांपती कि योगी-प्रशासन अन्तत: कितनी सख्ती करेगा? ऊपरी कमाई पर पल्ल्ववित सरकारी महकमा कब तक बिना हफ़्ता-रिश्वत के रह पायेगा?

जैसा मैने अपने आसपास एक डेढ़ साल में देखा है – सरकार ही नहीं, जनता का एक बड़ा हिस्सा इस लूट का परजीवी हो चुका है। किसी लम्बे समय तक चलने वाले परिवर्तन की मुझे बहुत आशा नहीं। पर मोदी-योगी जैसे डिस्रप्टिव राजनीति करने वालों से कुछ आशा बनती है जो व्यक्तिगत रूप से भ्रष्ट नहीं हैं और सिस्टम को सुधारने के लिये एक सीमा तक शॉक-ट्रीटमेण्ट दे सकते हैं। वे सरकारी अमले और माफ़िया को एक (बड़ी) सीमा तक जुतियाने की क्षमता रखते हैं। उन्ही से आशा है।
और उसी योगी के मुख्य मन्त्री बनने की हनक मुझे गंगा किनारे द्वारिकापुर में नजर आई।
Sir, Appka blog bahut achha hai.Ganga kinaare ki baat hi kucch aur hai. Ek article likha aapke ek post ke saath. Check karein.Shayad apako achha lage.
http://dibhu.com/index.php/2018/02/14/proof-of-the-change-that-up-cm-yogi-adityanath-has-brought/
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