जोनाथन लिविंगस्टन बकरी


आपने रिचर्ड बाख की जोनाथन लिविंगस्टन सीगल पढ़ी होगी। अगर नहीं पढ़ी तो पढ़ लीजिये! आप इस छोटे नॉवेल्ला को पढ़ने में पछतायेंगे नहीं। यह आत्मोत्कर्ष के विषय में है। इस पुस्तक की मेरी प्रति कोई ले गया था, और दूसरी बार मुझे श्री समीर लाल से यह मिली। यहां मैं जोनाथन लिविंगस्टन सीगल केContinue reading “जोनाथन लिविंगस्टन बकरी”

आप अपनी ट्यूब कैसे फुल रखते हैं, जी?


इस ब्लॉगजगत में कई लोगों को हैली कॉमेट की तरह चमकते और फिर फेड-आउट होते देखा है। और फेड आउट में एक दो जर्क हो सकते हैं पर फिर मौन आ ही जाता है। कुछ ऐसे कि टूथपेस्ट की ट्यूब अंतत: खाली हो जाये! अपने से मैं पूंछता हूं – मिस्टर ज्ञानदत्त, तुम्हारी ट्यूब भीContinue reading “आप अपनी ट्यूब कैसे फुल रखते हैं, जी?”

संसद – बढ़ती गर्मी महसूस हो रही है!


विवेक पाण्डेय बाईस जुलाई को लोक सभा तय करने जा रही है कि सरकार के पास विश्वास है या नहीं। मैं करेण्ट अफेयर्स पढ़ता-देखता कम हूं, इस लिये इस विषय पर बहुत सोचा न था। पर शनिवार के दिन मेरे दामाद विवेक पाण्डेय ने एक-डेढ़ घण्टे में जो संसदीय सिनारियो समझाया और जो पर्म्यूटेशन-कॉम्बिनेशन बननेContinue reading “संसद – बढ़ती गर्मी महसूस हो रही है!”

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