वर्गीज़ कुरियन की पुस्तक – ’आई टू हैड अ ड्रीम’ में एक प्रसंग माधव सदाशिवराव गोलवलकर ’गुरुजी” के बारे में है। ये दोनों उस समिति में थे जो सरकार ने गौ वध निषेध के बारे में सन् १९६७ में बनाई थी। इस समिति ने बारह साल व्यतीत किये। अन्त में मोरारजी देसाई के प्रधानमन्त्रित्व केContinue reading “माधव सदाशिव गोलवलकर और वर्गीज़ कुरियन”
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ठहरी हुई नाव और सतरंगा मोरपाखी
यह एक उपन्यास है। औपन्यासिक कृति का पढ़ना सामान्यत: मेरे लिये श्रमसाध्य काम है। पर लगभग पौने दो साल पहले मैने श्रीमती निशि श्रीवास्तव का लिखा एक उपन्यास पढ़ा था – “कैसा था वह मन”। उस पुस्तक पर मैने एक पोस्ट भी लिखी थी – कैसा था वह मन – आप पढ़ कर देखें! अबContinue reading “ठहरी हुई नाव और सतरंगा मोरपाखी”
पी.जी. तेनसिंग की किताब से
पी.जी. तेनसिंग भारतीय प्रशासनिक सेवा के केरल काडर के अधिकारी थे। तिरालीस साल की उम्र में सन् २००६ में कीड़ा काटा तो सरकारी सेवा से एच्छिक सेवानिवृति ले ली। उसके बाद एक मोटर साइकल पर देश भ्रमण किया। फ्रीक मनई! उनके सहकर्मी उनके बारे में कहते थे – दार्शनिक, ढीला पेंच, दारू पीने के लियेContinue reading “पी.जी. तेनसिंग की किताब से”
