इस ब्लॉगजगत में कई लोगों को हैली कॉमेट की तरह चमकते और फिर फेड-आउट होते देखा है। और फेड आउट में एक दो जर्क हो सकते हैं पर फिर मौन आ ही जाता है। कुछ ऐसे कि टूथपेस्ट की ट्यूब अंतत: खाली हो जाये! अपने से मैं पूंछता हूं – मिस्टर ज्ञानदत्त, तुम्हारी ट्यूब भीContinue reading “आप अपनी ट्यूब कैसे फुल रखते हैं, जी?”
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ऐतिहासिक मन्थन से क्या निकलता है?
हम जान चुके हैं कि इतिहासकारों की आदत होती है हम जैसों में यह छटपटाहट जगा कर मजा लेना! ताकतें हैं जो हमें सलीके से अपनी विरासत पर नाज नहीं करने देतीं। आपके पास हिस्ट्री (इतिहास) के मन्थन की मिक्सी है? रोमिला थापर ब्राण्ड? या "नमस्ते सदा वत्सले मातृभूमे" ब्राण्ड? मुझे ये दोनो मिक्सियां अपनेContinue reading “ऐतिहासिक मन्थन से क्या निकलता है?”
मेक्केन बनाम ओबामा
मेक्केन क्या कछुये की चाल से सतत बढ़त की ओर हैं? गैलप पोल में तो ऐसा ही लगता है। उसके अनुसार कंजरवेटिव डेमोक्रेट्स ओबामा से छिटक रहे हैं। भारत में ओबामा का नाम ज्यादा सुनने को क्यों मिलता है? मेक्केन क्या जॉर्ज बुश का पर्याय हैं; जैसा हिलेरी क्लिण्टन अपने ओबामा समर्थन भाषण में कहContinue reading “मेक्केन बनाम ओबामा”
