हेमेन्द्र जी ने अपने संस्मरण टुकड़ा टुकड़ा लिखे हैं. उनके लगभग 14 पन्ने के हस्त लिखित दस्तावेज की फोटो कॉपी मेरे पास भी है. कभी बैठ कर उसका हिन्दी अनुवाद कर ब्लॉग पर प्रस्तुत करूंगा.
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गांव में अजिज्ञासु (?) प्रवृत्ति
गांव में बहुत से लोग बहुत प्रकार की नेम ड्रॉपिंग करते हैं। अमूमन सुनने में आता है – “तीन देई तेरह गोहरावई, तब कलजुग में लेखा पावई” (तीन का तेरह न बताये तो कलयुग में उस व्यक्ति की अहमियत ही नहीं)। हांकने की आदत बहुत दिखी। लोगों की आर्थिक दशा का सही अनुमान ही नहींContinue reading “गांव में अजिज्ञासु (?) प्रवृत्ति”
निरक्षरता का मूल क्या है?
रामपुर (छद्म नाम) के सैंतालीस प्रतिशत लोग काम के हिसाब से अनपढ़ हैं। प्रौढ़ शिक्षा एवम बेसिक कर्मठता योजना अधिकारी की एक रिपोर्ट में रामपुर के बारे में चौंकाने वाली रिपोर्ट बनाई है। इसके अनुसार लगभग आधे नागरिक अखबार नहीं पढ़ सकते, नौकरी आदि के फार्म नहीं भर सकते अथवा दवा की बोतलों पर लिखेContinue reading “निरक्षरता का मूल क्या है?”
