हम रेलवे उपकरणों की विफलता पर एक पावरप्वॉइण्ट बना रहे थे| उस समय कर्षण विद्युत उपकरण (over head transmittion equipment – OHE) की विफलता कम करने के लिये इंफ्रा-रेड (थर्मोग्राफिक) कैमरे के प्रयोग की तकनीक का जिक्र हमारे मुख्य विद्युत अभियंता महोदय ने किया। मेरे अनुरोध पर उन्होने अगले दिन इलाहाबाद रेल मण्डल के एक कर्मी कोContinue reading “इंफ्रा-रेड कैमरा और कर्षण विद्युत उपकरण का रखरखाव”
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मिराण्डा चेतावनी
मैं अर्थर हेली का उपन्यास डिटेक्टिव पढ़ रहा था। नेट पर नहीं, पुस्तक के रूप में। यह पुस्तक लगभग दस बारह साल पहले खरीदी थी। लुगदी संस्करण, फुटपाथ से। नकली छपाई होने के चलते इसमें कुछ पन्ने धुन्धले हैं – कुछ हिस्सों में। इसी पढ़ने की दिक्कत के कारण इसे पढ़ना मुल्तवी कर दिया था। [लुगदीContinue reading “मिराण्डा चेतावनी”
कोयले की संस्कृति
कोयला शुष्क है, कठोर है रुक्ष है। जब धरती बन रही थी, तब बना कोयला। उसमें न आकृति है, न संस्कृति। उसमें प्रकृति भी नहीं है – प्रकृति का मूल है वह। आकृति, प्रकृति और संस्कृति दिखे न दिखे, आजकल विकृति जरूर दीखती है। भेड़ियाधसान उत्खनन हो रहा है। दैत्याकार उपकरण दीखते हैं। कोयले कीContinue reading “कोयले की संस्कृति”
