नीलकंठ और रामसूरत की मुलाकात


नीलकंठ कुछ कुछ मेरे जैसा है। रुपया में बारह आना। वह भी नौकरशाह रहा। पांच सात हजार कर्मचारियों का नियंता। अब वह करुणेश जी के ‘रामेश्वर धाम’ पर बतौर प्रबंधक आया है। बंगले से डेढ़ कमरे की कॉटेज में शिफ्ट हुआ है। पांच हजार की साइकिल खरीदी है और गांव की सड़कों पर चलाने काContinue reading “नीलकंठ और रामसूरत की मुलाकात”

का हेरत हयअ?


एक विघ्नेश्वर जी ने टिप्पणी की। पोस्ट मौसम की अनिश्चितता, आंधी-पानी आदि पर थी। सज्जन ने कहा – घर में रह बुड्ढ़े, ऐसे मौसम में निकलेगा तो जल्दी मर जायेगा।
[…] काला टीका लगा दिया है उन्होने। सौ साल जिया जायेगा बंधुवर। ज्यादा ही!

मुराहू पण्डित के साथ साइकिल से गंगा घाट


मंदिर छोटा है, पर पुराना है और अच्छा लगता है। उस मंदिर की चारदीवारी बनाने की कथा भी पण्डित जी ने बतायी। ईंटवाँ के ही फलाने जी का छ क्विण्टल गांजा पकड़ा गया था। उस मामले में बरी होने पर उन फलाने जी ने यह जीर्णोद्धार कराया।

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