इधर के बारे में मुझे दशकों से मालूम है. इधर माने रेलवे – मेरा कार्य क्षेत्र. रेलवे को मिनी भारत कहते हैं. उस मे बड़े मजे से काम चल रहा था/है. यह महज एक संयोग था कि हिन्दी ब्लॉगरी के लोगों का पता चला. अब चार महीने से उधर यानि हिन्दी ब्लॉगरी के विषय मेंContinue reading “इधर के और उधर के लोग”
Monthly Archives: Jul 2007
विक्तोर फ्रेंकल का आशावाद और जीवन के अर्थ की खोज
जब भी नैराश्य मुझे घेरता है, विक्तोर फ्रेंकल (1905-1997) की याद हो आती है. नात्सी यातना शिविरों में, जहां भविष्य तो क्या, अगले एक घण्टे के बारे में कैदी को पता नहीं होता था कि वह जीवित रहेगा या नहीं, विक्तोर फ्रेंकल ने प्रचण्ड आशावाद दिखाया. अपने साथी कैदियों को भी उन्होने जीवन की प्रेरणाContinue reading “विक्तोर फ्रेंकल का आशावाद और जीवन के अर्थ की खोज”
गंगा का कछार, नीलगाय और जट्रोफा
हरिकेश प्रसाद सिन्ह मेरे साथ जुड़े इंस्पेक्टर हैं. जो काम मुझे नहीं आता वह मैं एच पी सिन्ह से कराता हूं. बहुत सरल जीव हैं. पत्नी नहीं हैं. अभी कुछ समय पहले आजी गुजरी हैं. घर की समस्याओं से भी परेशान रहते हैं. पर अपनी समस्यायें मुझसे कहते भी नहीं. मैं अंतर्मुखी और वे मुझसेContinue reading “गंगा का कछार, नीलगाय और जट्रोफा”
