विदर्भ की आत्महत्याओं का तोड़ (वाकई?)


मुझे झेंप आती है कि मेरे पास विदर्भ की समस्या का कोई, बेकार सा ही सही, समाधान नहीं है। वैसे बहुत विद्वता पूर्ण कहने-लिखने वालों के पास भी नहीं है। सरकार के पास तो नहियंई है। वह तो मात्र कर्ज माफी का पेड़ लगा कर वोट के फल तोड़ना चाहती है। हमारे साथी अधिकारी श्रीयुतContinue reading “विदर्भ की आत्महत्याओं का तोड़ (वाकई?)”

मणियवा खूब मार खाया


मणियवा का बाप उसे मन्नो की दुकान पर लगा कर पेशगी 200 रुपया पा गया। सात-आठ साल के मणियवा (सही सही कहें तो मणि) का काम है चाय की दुकान पर चाय देना, बर्तन साफ करना, और जो भी फुटकर काम कहा जाये, करना। उसके बाप का तो मणियवा को बन्धक रखवाने पर होली कीContinue reading “मणियवा खूब मार खाया”

भूमिगत जल और उसका प्रदूषण


आज बुधवासरीय अतिथि पोस्ट में आप श्री पंकज अवधिया द्वारा भूमिगत जल और उसके प्रदूषण पर विस्तृत जानकारी उनके नीचे दिये गये लेख में पढ़ें। इस लेख में जल प्रदूषण पर और कोणों से भी चर्चा है। उनके पुराने लेख आप पंकज अवधिया के लेबल सर्च से देख सकते हैं। भूमिगत जल क्या हमेशा प्रदूषणContinue reading “भूमिगत जल और उसका प्रदूषण”

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