सवेरे की साइकिल सैर के दौरान इस उपहार ने मुझे हृदय के अन्दर तक सींच दिया। वापस लौटते समय पूरे रास्ते मैं विजयशंकर जी के बारे में ही सोचता रहा। अगर एक किसान – एक मार्जिनल किसान इतनी दरियादिली रखता है तो मुझे तो अपने दिल को और भी खोलना चाहिये।
मैं, ज्ञानदत्त पाण्डेय, गाँव विक्रमपुर, जिला भदोही, उत्तरप्रदेश (भारत) में रह कर ग्रामीण जीवन जानने का प्रयास कर रहा हूँ। मुख्य परिचालन प्रबंधक पद से रिटायर रेलवे अफसर; पर ट्रेन के सैलून को छोड़ गांव की पगडंडी पर साइकिल से चलने में कठिनाई नहीं हुई। 😊
सवेरे की साइकिल सैर के दौरान इस उपहार ने मुझे हृदय के अन्दर तक सींच दिया। वापस लौटते समय पूरे रास्ते मैं विजयशंकर जी के बारे में ही सोचता रहा। अगर एक किसान – एक मार्जिनल किसान इतनी दरियादिली रखता है तो मुझे तो अपने दिल को और भी खोलना चाहिये।