नदी यानी गंगा नदी। मेरे घर से कौआ की उड़ान के हिसाब से 2 किलोमीटर दूर। बड़ा फ्रीक्वेण्ट आना जाना है द्वारिकापुर के गंगा तट पर। स्नान नहीं करता गंगा में, पर दिखता तो है ही कि जल कैसा है।
गंगाजल वास्तव में साफ कहा जा सकता है। निर्मल।
उत्तरोत्तर सरकारों ने बहुत पैसा खर्च किया। गंगा जी के नाम पर बहुत भ्रष्टाचार भी हुआ। पर अंततः कोरोना वायरस को लेकर मानव जाति के भय के कारण निर्मल हो पाया गंगाजल।
