सवेरे तीन बजे उठ जाना

सवेरे तीन बजे; कुछ उससे पहले ही नींद खुल गयी। शायद शरीर को श्रम नहीं करना पड़ रहा, तो नींद ठीक से नहीं आती। शायद उम्र का भी असर है। उम्र बढ़ने के साथ साथ नींद कम होती जाती है और जब तब बिन बुलाये झपकी आती रहती है। यह खराब है। और इसका उपाय यही है कि साइकिल और चलाई जाये – आखिर वही एक व्यायाम है मेरे पास।

Gyan Dutt Pandey, Gyandutt Pandey,
अ‍ॅंधेरे बेड रूम से टटोल कर ब्लू टूथ वाला हेडफोन कानों पर लगा कर मोबाइल में अमेजन ऑडीबल का एक एपीसोड सेट करता हूं।

पास सो रही पत्नीजी की नींद को बिना खलल डाले मैं अपना शौच कर लेता हूं। बिजली आ रही है, तो बिजली की केतली में पानी गर्म कर एक थर्मस चाय – बिना दूध वाली, चाय की ग्रीन पत्ती के साथ – बना कर बैठ जाता हूं घर के दालान नुमा ड्राइंग रूम में। किण्डल पर कोई पुस्तक पढ़ने का प्रयास करता हूं। फिर लगता है कि एक्सरसाइजर पर व्यायाम ही कर लिया जाये। वह साइकिल चलाने जैसा है। टाइमर भी है जिससे पता रहे कि कितने मिनट पैर चलाये। बताने को तो वह कैलोरी जैसी चीज भी बताता है – पर उसपर बहुत यकीन नहीं होता। मुझे लगता है कि वह टाइम बताने के अलावा बाकी झूठ बोलता (दिखाता) है।

My Indian Odyssey Podcast

एक्सरसाइजर के लिये इंतजाम करता हूं। अंधेरे बेड रूम से टटोल कर ब्लू टूथ वाला हेडफोन कानों पर लगा कर मोबाइल में अमेजन ऑडीबल का एक एपीसोड सेट करता हूं। यह विंसेण्ट इब्राहिम की माई इण्डियन ओडिसी में आगरा से दार्जिलिंग यात्रा का पॉडकास्ट है।

उस पॉडकास्ट में ट्रेन की आवाजें, सेकेण्ड एसी डिब्बे की खटर पटर, इब्राहिम की स्वप्निल आवाज में यात्रा विवरण और यात्रा के दौरान चाय वाले, साथ यात्रा कर रहे यात्रियों से बातचीत, रात बीतने के बाद सवेरे नाश्ता सर्व किया जाना और न्यू जलपाईगुड़ी स्टेशन पर उतरना – यह सब मुझे अपने अतीत में ले जाता है। अंधेरे बेड रूम से टटोल कर ब्लू टूथ वाला हेडफोन कानों पर लगा कर मोबाइल में अमेजन ऑडीबल का एक एपीसोड सेट करता हूं। कभी कभी पास के गार्ड साहब के डिब्बे में जा कर गार्ड बतियाना हुआ करता था। मैं अपने जूनियर स्केल से विभागाध्यक्ष बनने तक के अपने पीयून लोगों की याद करता हूं। और साथ में यात्रा करने वाले अपने इंस्पेक्टर लोगों की भी। कभी कभी मुझे लगता था – और ऐसा बहुधा होता था – कि वे इंस्पेक्टर अगर सिविल सर्विसेज पास कर रेल में लगे होते तो मुझसे बेहतर अधिकारी होते। वे अधिकतर बहुत होशियार, ईमानदार, और कर्मठ हुआ करते थे। अधिकतर वे मेरे मन को जान जाया करते थे और मेरे स्वाद, रुचियों और खब्तीपन से परफेक्ट तालमेल बनाये हुये होते थे। वे चपरासी और वे इंस्पेक्टर मेरे सुहृद मित्र होते थे। बहुत से तो परिवार के सदस्य की तरह, या परिवार का सदस्य ही थे। उनका जितना तालमेल मुझसे हुआ करता था, उससे ज्यादा मेरी पत्नीजी के साथ होता था।

उस पॉडकास्ट में ट्रेन की आवाजें, सेकेण्ड एसी डिब्बे की खटर पटर, इब्राहिम की स्वप्निल आवाज में यात्रा विवरण और यात्रा के दौरान चाय वाले, साथ यात्रा कर रहे यात्रियों से बातचीत, रात बीतने के बाद सवेरे नाश्ता सर्व किया जाना और न्यू जलपाईगुड़ी स्टेशन पर उतरना – यह सब मुझे अपने अतीत में ले जाता है।

Vincent Ebrahim
विंसेण्ट इब्राहिम

मैं व्यायाम खत्म कर विंसेण्ट इब्राहिम के बारे में मोबाइल पर खंगालता हूं। यह दक्षिण अफ्रीका का कोई अभिनेता है। चेहरे से भारतीय लगता है। उसके दादा यहां सत्रह साल भारत में रहे। मुहम्मद कासिम। दादा जहां जहां रहे वहां वहां की यात्रा कर दादा की जिंदगी से परिचय पाने का प्रयास कर रहा है वह। और उस प्रक्रिया में क्या शानदार पॉड्कास्ट बनाये हैं विंसेण्ट इब्राहिम ने। उस पॉडकास्ट की बदौलत मैं अपने रेल अतीत में हो आया। अन्यथा, सामान्यत: मैं रेल छोड़ने के बाद साइकिल ले कर गांवदेहात की ही सोचता-जीता रहा हूं।

मैंने रेल जीवन या रेल यात्राओं के बारे में बहुत नहीं लिखा। पर वह बहुत शानदार और लम्बा युग था। जब मैंने अपने जूते उतारे तो यह सोचा कि यादों में नहीं जियूंगा। आगे की उड़ान भरूंगा गांव के परिदृष्य में। पर अब, आज सवेरे इकतीस दिसम्बर के दिन लगता है कि फ्लैश-बैक में भी कभी कभी झांक लेना चाहिये।

इब्राहिम का पॉडकास्ट खतम कर मैं अपने लैपटॉप पर यह लिखने बैठ गया हूं। अब जब खत्म कर रहा हूं यह लेखन तो सवेरे पौने छ बजे का अलार्म बज रहा है। मेरे सामान्यत: उठने का समय हो गया है। पर उठने के समय पर आज बहुत कुछ कर चुका हूं। नये साल के लिये कुछ सोचने की भूमिका होगी यह! 🙂


जैसा मैंने कहा, मैंने बहुत नहीं लिखा है अपनी रेल यात्राओं के बारे में। पर यात्रा पर एक छोटी पोस्ट है – सोनतलाई। शायद आपको रुचिकर लगे।


Advertisement

Published by Gyan Dutt Pandey

Exploring village life. Past - managed train operations of IRlys in various senior posts. Spent idle time at River Ganges. Now reverse migrated to a village Vikrampur (Katka), Bhadohi, UP. Blog: https://gyandutt.com/ Facebook, Instagram and Twitter IDs: gyandutt Facebook Page: gyanfb

One thought on “सवेरे तीन बजे उठ जाना

आपकी टिप्पणी के लिये खांचा:

Fill in your details below or click an icon to log in:

WordPress.com Logo

You are commenting using your WordPress.com account. Log Out /  Change )

Facebook photo

You are commenting using your Facebook account. Log Out /  Change )

Connecting to %s

%d bloggers like this: