दांत का कीड़ा झड़वाये अशोक पण्डित

दांत के दर्द से परेशान हैं अशोक पण्डित। अशोक पण्डित यानी अशोक दुबे। मेरे वाहन चालक हैं। मेरे गांवदेहात की समझ को अपने दृष्टिकोण से परिपुष्ट करने में मेरे सहायक। वे गांव की हलचल बताने और उसपर अपनी सोच जाहिर करने में संकोच नहीं करते।

जब वे घर पर आते हैं तो उनसे ज्यादा बातचीत नहीं होती। पर जब कार में सारथी कर निकलते हैं; तब बात प्रारम्भ होती है – “तब असोक, फलाने क का हालचाल बा?”

फलाने के हालचाल से शुरू हुई बातचीत महुआ, मुसहर, चुनाव, पोखरी, आसपास हुये मर्डर या एक्सीडेण्ट, भूत-प्रेत … सब तक घूम आती है। निर्भर करता है कि कितनी दूर जाना है और कितना रिसेप्टिव मैं हूं। कभी कभी जब कान में पॉडकास्ट सुनने के लिये ईयरफोन ठुंसा होता है तो मौन ही चलता है। कभी जब मौसम अच्छा हुआ या कार में वातानुकूलन ठीक रहा तो ज्यादा मुद्दों पर भी चर्चा हो जाती है। … आजकल जब पॉडकास्टिंग पर मेरे अनगढ़ प्रयोग हो रहे हैं तो मन होता है कि अशोक पण्डित के साथ यह सारथी-पॉडकास्ट भी रिकार्ड किया जाये।

वह दिन भी शायद कभी आ ही जायेगा। बशर्ते कि पाठक/श्रोता यह न कह बैठें कि जीडी, ये पॉडकास्टिंग तुम्हारे बस की नहीं। … जब मैंने ब्लॉगिंग शुरू की थी, सन 2007 में, तो ज्यादातर पाठकों की राय थी कि मुझे न ढंग से हिंदी आती है और न अंगरेजी। पर अपनी (घटिया) हिंदी में भी दरेरा मार कर हिंदी ब्लॉगिंग जिंदा रखी। जिद्दी स्वभाव के कारण। शायद वही अब पॉडकास्टिंग को भी चलाये – वही जिद और जुनून।

बहरहाल, अशोक पण्डित पर लौटा जाये। करीब हफ्ते भर से अशोक पण्डित दांत के दर्द से परेशान हैं। परसों नहीं आये। कुछ खबर भी नहीं दी। वैसे फोन कर बताना या फीडबैक देना अशोक पण्डित के चरित्र में है नहीं। आपकी गरज है तो उनसे पता कर लें। और अगर अशोक पण्डित का फोन आउट ऑफ रीच है – जो अक्सर होता है – तो उनके किसी पड़ोसी को खबर करें कि वह अशोक से बात करा दे।

जब वे नहीं आये तो फोन कर उनके न आने का कारण पूछा। अशोक ने बताया कि दांत में दर्द बढ़ गया है और वे कीड़ा झड़वाने जा रहे हैं।

उसके बाद वे कल भी अवतरित नहीं हुये। आज आये। जब उनके साथ मार्केट जा रहा था तो मैंने पूछा – कीड़ा झड़वाये? किस ओझा के पास गये थे?

जब अशोक के साथ मार्केट जा रहा था तो मैंने पूछा – कीड़ा झड़वाये? किस ओझा के पास गये थे?

मेरा अंदाज यह था कि दांत के दर्द का इलाज भी भी दवा और दुआ के तालमेल से होता होगा गांव में। दवा दांत का डाक्टर देता होगा और झड़वाने का काम कोई ओझा या तांत्रिक करता होगा। पर अशोक ने जो बताया वह अलग ही चीज थी। बोले – नाहीं, कौनो ओझा नाहीं। दांते क कीड़ा झरवावई ग रहे। गंउआँ क नट हयें जे कीड़ा निकालथीं। दुई किरौना निकला। ओकरे बाद आराम बा। ( नहीं, कोई ओझा नहीं। दांत के कीड़े झड़वाने गया था। गांव के ही नट लोग निकालते हैं। दो कीड़े निकले। उसके बाद आराम है।)

अशोक ने और जोड़ा – पिछली दईंया झरवाये रहे त सात ठे निकरा रहा। (पिछली बार दांत में दर्द होने पर झड़वाया था तो सात कीड़े निकले थे।)

नट घुमन्तू जनजाति के लोग हैं तो बाजीगरी दिखा कर पेट पालते हैं। आपने नट लड़की को मटका सिर पर रखे एक हवा में तानी रस्सी पर चलते देखा होगा। अच्छा तमाशा होता है वह। पर नट लोग यह दांत से कीड़े निकालने की भी हाथ की सफाई दिखा कर दांत के दर्द को भी भुनाते हैं; यह आज ही पता चला।

अशोक ने दांत के कीड़े निकालने की विधि भी मुझे स्पष्ट की। गांव में नहर की बगल में नटों के घर हैं। उनकी औरतें ये कीड़े निकालती हैं। जिस ओर के दांत में दर्द हो, उस ओर के कान में दवा डालती हैं और कुछ मंत्र फूंकती हैं। फिर उस कान की तरफ सिर झुकाने पर दांत के कीड़े कान से निकलते हैं। कीड़े निकलने के पांच दस मिनट बाद ही आराम हो जाता है।

कितने बड़े कीड़े होते हैं?

चींटी जितने। उससे भी कुछ छोटे। कीड़े निकालने की फीस बीस रुपया लेती हैं वे औरतें।

मेरे आगे के एक दांत में काला धब्बा हो गया था। उसे डेंटिस्ट को दिखाने दांत के डाक्टर के पास भी अशोक पण्डित ही ले कर गये थे। स्टेज – 2 केविटी थी, जिसको साफ कर फिलिंग का काम एक सिटिंग में डाक्टर ने किया था। चार हजार रुपये का खर्च आया। पर अपने लिये अशोक ने नटिनी के पास जा कर कीड़े निकलवाना बेहतर उपाय समझा! जबकि अशोक की समस्या शायद ज्यादा गहरी हो – जिसमें रूट केनाल ट्रीटमेण्ट या दांत का उखड़वाना ही निदान हो। पर अशोक को तो सात या दो कीड़े निकलवा कर ही आराम हो गया है। और खर्चा भी मात्र बीस रुपये आया!

मुझे यकीन है कि अशोक पण्डित दो-तीन महीने में फिर नट के यहां कीड़ा झड़वाने जांयेगे ही। अगली बार कितने कीड़े निकलेंगे, यह जानने की मुझे उत्सुकता रहेगी। पता चला तो आपको भी खबर करूंगा।

दांत का कीड़ा झड़वाये अशोक पण्डित – पॉडकास्ट

बहरहाल, आपको भी उस नट का मोबाइल नम्बर या विजटिंग कार्ड चाहिये क्या? 😆


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Published by Gyan Dutt Pandey

Exploring village life. Past - managed train operations of IRlys in various senior posts. Spent idle time at River Ganges. Now reverse migrated to a village Vikrampur (Katka), Bhadohi, UP. Blog: https://gyandutt.com/ Facebook, Instagram and Twitter IDs: gyandutt Facebook Page: gyanfb

5 thoughts on “दांत का कीड़ा झड़वाये अशोक पण्डित

  1. सारथी-पॉडकास्ट। सुन्दर विचार है। पाडकास्टी आपके बस की ही है। हम भी सीख रहे हैं। इस बार तो उतार चढ़ाव आदि सब कथामय लगे।

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  2. गज्जब
    नयी जानकारी।
    एक बार उस कीड़े निकालने की प्रक्रिया का वीडियो तो बना कर डालिए

    Liked by 1 person

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