11 सितम्बर 2021 की यात्रा:
अगले दिन सवेरे सवेरे पांच बजे उनसे हाल पूछा। प्रेमसागर ने बताया कि पैर में तकलीफ है। जांघ में रगड़ के कारण घाव का मामला नहीं है। बारिश में ऊबड़-खाबड़ और रपटीले रास्ते पर चलने से कहीं पैर मुड़ गया है। पांव सूजा नहीं है। केवल दर्द भर है जो एक दिन आराम से ठीक हो जायेगा।
कल प्रेम सागर को गुजरना पड़ा जंगल के बीच से। रास्ता अच्छा नहीं था। लोग भी नहीं थे। मुश्किल से पांच सात लोग दिखे होंगे पूरे रास्ते। कोई बातचीत भी नहीं हुई। बस रास्ते से गुजरते जाना हुआ। बीच में बारिश कई बार आ गयी। रुकने को कोई जगह नहीं मिली। भीगना खूब हुआ। उससे भी तबियत ढीली हो गयी। बारिश में भीगना हो, पीठ पर पिट्ठू लदा हो और साइड में बस्ता (स्लिंग बैग), रास्ता अच्छा न हो, कहीं गड्ढे हों और कहीं बारिश से रपटीला हो। उसमें चालीस पैंतालीस किमी की दूरी। ज्यादा ही मेहनत हो गयी।
और दिन सांझ होने के पहले पहले गंतव्य तक आ जाते थे प्रेम सागर। पर आज जब शाम सवा सात बजे तक भी उनका न कोई मैसेज मिला और न कोई फोन आया तो मैंने अपनी ओर से बात की। उन्होने बताया कि अभी रास्ते में ही हैं। आज रफ्तार बहुत कम रही है। आधा घण्टा और लगेगा पंहुचने में। आज चित्र भी कम लिये हैं। रेस्ट हाउस पंहुचने पर अपलोड कर देंगे। बारिश बार बार हुई तो भीगना बहुत हो गया। रुकना कई बार पड़ा। बारिश खतम होने पर धूप भी बहुत तेज होती थी। उसमें चलना भी दुष्कर था।

उसके बाद भी उनका कोई अपलोड और फोन नहीं आया। रात साढ़े नौ बजे मैंने उनसे अपने सोने जाने के पहले बात की तो उन्होने बताया कि अभी भोजन किया है। पैर में तकलीफ है। भीगने के कारण तबियत भी ठीक नहीं लग रही। कुछ देर बाद चित्र भेज देंगे। … मैं सोने चला गया।
*** द्वादश ज्योतिर्लिंग कांवर पदयात्रा पोस्टों की सूची *** प्रेमसागर की पदयात्रा के प्रथम चरण में प्रयाग से अमरकण्टक; द्वितीय चरण में अमरकण्टक से उज्जैन और तृतीय चरण में उज्जैन से सोमनाथ/नागेश्वर की यात्रा है। नागेश्वर तीर्थ की यात्रा के बाद यात्रा विवरण को विराम मिल गया था। पर वह पूर्ण विराम नहीं हुआ। हिमालय/उत्तराखण्ड में गंगोत्री में पुन: जुड़ना हुआ। और, अंत में प्रेमसागर की सुल्तानगंज से बैजनाथ धाम की कांवर यात्रा है। पोस्टों की क्रम बद्ध सूची इस पेज पर दी गयी है। |
अगले दिन सवेरे सवेरे पांच बजे उनसे हाल पूछा। प्रेमसागर ने बताया कि पैर में तकलीफ है। जांघ में रगड़ के कारण घाव का मामला नहीं है। बारिश में ऊबड़-खाबड़ और रपटीले रास्ते पर चलने से कहीं पैर मुड़ गया है। पांव सूजा नहीं है। केवल दर्द भर है जो एक दिन आराम से ठीक हो जायेगा।

यात्रा के बारे में बताया कि कुछ खास नहीं दिखा। केवल जंगल ही था। किसी से बात भी नहीं हुई। कोई नदी नहीं मिली। एक चित्र किसी नदी या नाले का है, पर उसमें पानी नहीं था। दूर दूर तक चरवाहे भी नहीं मिले या दिखे। पूरी रास्ते दूर चार पांच गांव या बस्तियाँ नजर आयीं।

बाद में प्रेमसागर जी को पता चला कि जिस रास्ते से वे गुजर कर आये हैं, सोन नदी उसके पश्चिम में बहती है। चार पांच किलोमीटर के अंतर पर। उस ओर जो जंगल हैं, उनमें शेर, बाघ और बनैले सुअर हैं। गांव वाले कभी अपने गाय-गोरू चराते हैं तो उनपर यदाकदा हमला भी करते हैं। बाघ कभी गांव में भी आ जाता है। उस ओर हाथी नहीं हैं। वे पूरब की ओर हैं। कभी कभी गुजरते हैं पर बस्ती पर हमला नहीं करते। शायद यह इलाका हाथियों के काफिले के आनेजाने का नहीं है। कुल मिला कर वे जहां इस समय हैं, वह घने जंगल का इलाका है।
प्रेम सागर बताते हैं कि इस बीहड़ जंगल के इलाके में बड़े ऋषि महर्षि भी तपस्या करने आते थे। आज सावन माह में विशाल मेला लगता है, जिसमें बहुत लोग आते हैं। युग बदला है। अब ऋषि, महर्षि और तपस्या का स्थान मेला ने ले लिया है। मेले अगर अभी एथनिक रंग लिये होंगे इस गिरिजन प्रधान इलाके में तो जल्दी ही उनमें डीजे भी प्रवेश पायेगा।
मैं वेगड़ जी की भाषा उधार लूं तो ऋषि और तपस्या प्रकृति है, मेले संस्कृति हैं और डीजे विकृति है। समाज प्रकृति से विकृति की ओर जायेगा। उसमें प्रेमसागर जैसे लोगों की द्वादशज्योतिर्लिंग पदयात्रा का क्या स्थान रहेगा, भविष्य में?
12 सितम्बर 2021, जयसिंह नगर में विराम:
नाम है जयसिंह नगर, पर जैसा लगता है, स्थान जंगल से घिरा है। जंगलनगर! प्रेमसागर आज यहां रुके हुये हैं। उन्होने वन विभाग के लोगों के कुछ चित्र भेजे हैं। नरेंद्र कुमार डिप्टी रेंजर हैं।

एक चित्र लोगों के साथ बैठ कर खिंचवाया है प्रेम जी ने। और एक चित्र में रेस्ट हाउस का डाइनिंग कक्ष है। जंगल में यह सुविधा! धन्यवाद प्रवीण जी का और उन देवाधिदेव महादेव का भी, जो इस पूरे यज्ञ के प्राइम-मूवर है!

जंगल में मंगल – रेस्ट हाउस!
आज चूंकि प्रेमसागर रेस्ट हाउस में रेस्ट पर हैं, मुझे उनसे जंगल के बारे में, लोगों के बारे में और स्थानीय इतिहास, संस्कृति आदि के बारे में जानकारी लेने को कहा है। अभी तक उनका पैर सूजा नहीं है और दर्द बढ़ा नहीं है, इसलिये किसी फ्रेक्चर की सम्भावना तो नहीं होती, पर ऊतकों में जो दर्द होगा वह एक दिन के आराम से दूर हो जायेगा। वैसे भी प्रेमसागर जीवट के आदमी हैं। कल फिट्ट हो जायेंगे।
कभी मन की गति, कभी प्रकृति की तो कभी शरीर की। शरीर ने रोक लिया है तो रुक लें। दीर्घकालिक प्रयास में अल्पकालिक विश्राम आवश्यक हैं।
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आज वे पुनः निकल लिए हैं यात्रा जुनून है!
घने वन को सवेरे साढ़े चार बजे निकल कर पार किया है…
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Respected G.D. Pandey Sir,
Prem Sagar ji ke pas ab to new smartphone bhe hai. Phir bhe photo blur he aa rhe hai. Please unhe guide kare.
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नया स्मार्टफोन नहीं है। वही पुराना है।
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प्रभु श्रींप्रेम जी का यात्रा कष्ट कम करे ऐसी प्राथना है महादेव जी से।
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प्रभु प्रेम सागर को यात्रा के कष्ट जो होंगे ही, से कभी विचलित न करें. शंकर जी की चेलाई की है. वे तो गरल पान कर कल्याण करने के लिए विख्यात हैं ही.
हाँ, ऐसा कभी न हो कि वे अपनी यात्रा संपन्न करने में असमर्थ हो हो जाएं
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